बगुला के पंख | Bagulaa Ke Pankh

बगुला के पंख | Bagulaa Ke Pankh

बगुला के पंख | Bagulaa Ke Pankh

बगुला के पंख | Bagulaa Ke Pankh के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : बगुला के पंख है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Acharya Chatursen Shastri | Acharya Chatursen Shastri की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 25.81 MB है | पुस्तक में कुल 266 पृष्ठ हैं |नीचे बगुला के पंख का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | बगुला के पंख पुस्तक की श्रेणियां हैं : Knowledge, Stories, Novels & Plays

Name of the Book is : Bagulaa Ke Pankh | This Book is written by Acharya Chatursen Shastri | To Read and Download More Books written by Acharya Chatursen Shastri in Hindi, Please Click : | The size of this book is 25.81 MB | This Book has 266 Pages | The Download link of the book "Bagulaa Ke Pankh" is given above, you can downlaod Bagulaa Ke Pankh from the above link for free | Bagulaa Ke Pankh is posted under following categories Knowledge, Stories, Novels & Plays |

पुस्तक के लेखक :
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पुस्तक का साइज : 25.81 MB
कुल पृष्ठ : 266

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पायजामा, किश्तीनुमा टोपी मेम साहब उसे ‘मुशी' कहकर पुकारती थीं। मुशी कहने से वह खुश होता था। उसका नाम जुगनू था। पर वह अपना परिचय मुशी जगनप्रसाद कहकर देता था। जब उसने मुस्लिम धर्म अंगीकार कर लिया तो मुशी मुश्ताक अहमद बन गया । तनख्वाह भी उसे अच्छी मिलने लगी थी। मेम साहब की कृपा-दृष्टि ने उसे और भी अनेक सुविधाएं दे दी थी। मुसलमान होने के बाद उसका सम्बन्ध अपने घरवालों से छूट गया था और अब वह इस बात को लगभग भूल ही चुका था कि वह जन्मजात भंगी है। साहब के बैरा-चपरासी, जो अधिकतर ईसाई-गोआनी थे, किसी तरह उसकी जाति के सम्बन्ध में जान गए थे । वे उससे घृणा करते और उसे तुच्छ समझते थे |

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