भजन संग्रह चौथा भाग : घनश्यामदास जालान | Bhajan Sangarah chautha bhag : Ghanshyamdas Jalan के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : भजन संग्रह चौथा भाग है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Ghanshyamdas Jalan | Ghanshyamdas Jalan की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Ghanshyamdas Jalan | इस पुस्तक का कुल साइज 1.7MB है | पुस्तक में कुल 180 पृष्ठ हैं |नीचे भजन संग्रह चौथा भाग का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | भजन संग्रह चौथा भाग पुस्तक की श्रेणियां हैं : music
Name of the Book is : Bhajan Sangarah chautha bhag | This Book is written by Ghanshyamdas Jalan | To Read and Download More Books written by Ghanshyamdas Jalan in Hindi, Please Click : Ghanshyamdas Jalan | The size of this book is 1.7MB | This Book has 180 Pages | The Download link of the book "Bhajan Sangarah chautha bhag" is given above, you can downlaod Bhajan Sangarah chautha bhag from the above link for free | Bhajan Sangarah chautha bhag is posted under following categories music |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
(1) छैल जो छबीला, सब रंगमें रंगीला, बड़ा,
चित्तका अड़ीला, कहूँ देवतसे न्यारा है। माल गले सोहै, नाक-मोती सेत जो है, कान
| कुंडल मन मोहै, लाल मुकुट सिर धारा है। दुष्ट जन मारे, सब सन्त जो उबारे 'ताज'
चित्तमें निहारे प्रन-प्रीति करनवारा है। नन्दजूका प्यारा, जिन कंसको पछारा, वह, वृन्दावनवारा, कृष्ण साहब हमारा है।
( २ ) ध्रुवसे, प्रह्लाद, गज, ग्राहसे अहिल्या देखि
सौंरी और गीध यौं विभीषन जिन तारे हैं। | पापी अजामील, सूर, तुलसी, रैदास कहूँ।
नानक, मल्क, 'ताज' हरिहीके प्यारे हैं।