भारतीय विद्या | Bhartiya Vidha के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : भारतीय विद्या है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Achary Jinvijay Muni | Achary Jinvijay Muni की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Achary Jinvijay Muni | इस पुस्तक का कुल साइज 18MB है | पुस्तक में कुल 485 पृष्ठ हैं |नीचे भारतीय विद्या का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | भारतीय विद्या पुस्तक की श्रेणियां हैं : history
Name of the Book is : Bhartiya Vidha | This Book is written by Achary Jinvijay Muni | To Read and Download More Books written by Achary Jinvijay Muni in Hindi, Please Click : Achary Jinvijay Muni | The size of this book is 18MB | This Book has 485 Pages | The Download link of the book "Bhartiya Vidha " is given above, you can downlaod Bhartiya Vidha from the above link for free | Bhartiya Vidha is posted under following categories history |
यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
ब्रह्म-परिणामवाद जो प्रधान-परिणामवादका ही विकसित रूप ज्ञान पड़ता है, उसने यह तो मान लिया कि स्थूल विन्धके मूलमें कोई सूक्ष्म तत्त्व है जो स्थूल विश्वका कारण है पर उसने कहा कि ऐसा सूक्ष्म कारण जडप्रधान तत्त्व मान कर उससे भिन्न सूक्ष्म चेतन तत्व भी मानना, और वह भी ऐसा कि जो अजोगलस्तन की तरह सर्वथा अकिञ्चित्किर, सो युक्तिसंगत नहीं । उसने प्रधानवादमें चेतन तत्वके अस्तित्वकी अनुपयोगिताको ही नहीं देखा बल्कि चेतन तत्त्वमें अनन्त संख्याकी कल्पनाको मी अनावश्यक समझा। इसी समझसे उसने सूक्ष्म जगत्की कल्पना ऐसी की जिससे स्थूल जगतकी रचना भी घट सके और अकिश्चितकर ऐसे अनन्त चेतन तत्वोकी निष्प्रयोजन कल्पनाका दोष भी न रहे। इसीसे इस वादने स्थूल विश्वके अन्तस्तलमें जड चेतन ऐसे परस्पर विरोधी दो तत्त्व न मान कर केवल एक ब्रह्म नामक चेतन तत्त्व ही स्वीकार किया और उसका प्रधानपरिणाम की तरह परिणाम मान लिया जिससे उसी एक चेतन ब्रह्म तत्त्वमेंसे दूसरे जड चेतनमय स्थूल विश्वका आविर्भाव-तिरोभाव घट सके । प्रधान-परिणामवाद और ब्रह्म-परिणामवादमें फर्क इतना ही है कि पहिलेमे जड परिणामी ही है और चेतनअपरिणामी ही है; जब दूसरे में अन्तिम सूक्ष्म तत्त्व एक मात्र चेतन ही है जो स्वयं ही परिणामी है और उसी चेतनमॅसे आगेके जड चेतन ऐसे दो परिणामप्रवाह चले।