ब्रज-भाषा-काव्य में राधा | Braj-Bhasha-kavya Mein Radha

ब्रज-भाषा-काव्य में राधा | Braj-Bhasha-kavya Mein Radha

ब्रज-भाषा-काव्य में राधा | Braj-Bhasha-kavya Mein Radha के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : ब्रज-भाषा-काव्य में राधा है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Dr. Usha Puri | Dr. Usha Puri की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 14.02 MB है | पुस्तक में कुल 144 पृष्ठ हैं |नीचे ब्रज-भाषा-काव्य में राधा का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | ब्रज-भाषा-काव्य में राधा पुस्तक की श्रेणियां हैं : literature

Name of the Book is : Braj-Bhasha-kavya Mein Radha | This Book is written by Dr. Usha Puri | To Read and Download More Books written by Dr. Usha Puri in Hindi, Please Click : | The size of this book is 14.02 MB | This Book has 144 Pages | The Download link of the book "Braj-Bhasha-kavya Mein Radha " is given above, you can downlaod Braj-Bhasha-kavya Mein Radha from the above link for free | Braj-Bhasha-kavya Mein Radha is posted under following categories literature |


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पुस्तक का साइज : 14.02 MB
कुल पृष्ठ : 144

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वृषभानु-नंदिनी राधा ब्रज-साहित्य की श्री-शोभा है---वह उज्ज्वलरूप की अधिष्ठात्री देवी है-भक्तों की आराध्या है, तथा विगत पाँच सौ वर्षों से वह ब्रज-साहित्य का केन्द्रबिन्दु बनी हुई है । भक्तिकालीन कवियों की भावनाओं की आलंबन, राधा, जो रीतिकाल में श्रृंगार के मादक रूप का आलंबन बनी, तथा आधुनिक युग में जिसने उदात्त स्वरूप को ग्रहण किया, उसका मूल बीज बैष्णव-भक्ति के प्रसिद्ध ग्रन्थ ‘भागवतपुराण' में भी स्पष्ट रूप से लक्षित नहीं होता । यद्यपि वैष्णव सम्प्रदायों का मेरुदण्ड राधा है तथा अनेक कवियों ने उसका भावनापरक वर्णन किया, आश्चर्य है कि इतनी शोधों के उपरान्त भी निश्चित रूप से यह कहना कठिन है कि साहित्य में उसका अविर्भाव सर्वप्रथम कब हुआ।

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