कैनवास पर फैलते रंग : बसंत कुमार परिहार – कविता संग्रह | Canvas Par Failte Rang : Basant Kumar Parihar | के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : कैनवास पर फैलते रंग है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Basant Kumar Parihar | Basant Kumar Parihar की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Basant Kumar Parihar | इस पुस्तक का कुल साइज 1.47 MB है | पुस्तक में कुल 71 पृष्ठ हैं |नीचे कैनवास पर फैलते रंग का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | कैनवास पर फैलते रंग पुस्तक की श्रेणियां हैं : Uncategorized, Poetry
Name of the Book is : Canvas Par Failte Rang | This Book is written by Basant Kumar Parihar | To Read and Download More Books written by Basant Kumar Parihar in Hindi, Please Click : Basant Kumar Parihar | The size of this book is 1.47 MB | This Book has 71 Pages | The Download link of the book "Canvas Par Failte Rang" is given above, you can downlaod Canvas Par Failte Rang from the above link for free | Canvas Par Failte Rang is posted under following categories Uncategorized, Poetry |
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उसका र्सास्वाद करने के लिए मुक्त छोड़ टेना चाहता है। लम्बी कविताओं का अपनी रचना प्रक्रिया थे मे किसी भी पब्मार के बंधन का कायल नहीं हूँ। काव्य -रमिक सहदय पाठकों में भी यहीं अपेक्षा हैं कि हर तरह के पुर्वग्रहमों पथ मुक्त होकर मेरी कविताओं से साक्षात्कार करे। चौातरफा माहौल से मर्जित श्रनीभूत उत्पीड़न एवं तनाव से सुक्त होने का प्रयास है मेरी लम्बी कबिताएँ। इन्हें पढ़कर आप भी कुछ राहत अनुभव करेंगे तो इन कविताओं की सार्थकता सिद्ध होगी। मुझे कतई यह श्रम नहीं है कि मेरी लम्बी कर्िताएँ आदर्श लम्बी कचिता का नमूना हे था सई कविता के किसी विशेष पेटर्न की हिमायत करती है। किसी लम्बी कविता को आदर्श पैटर्न सानकर टीगर कवियों की लम्बी कबिताओ का आकरनन मूल्यांकन करने का समय अभी र्पिक्क नहीं हुआ है अतः इस प्रकार की सोच जो कहीं कहीं छुटपुर उभरती अपनी झलक दिखा दंती हैं उसे भ्रमित प्रयास ही समझना चाहिए। लम्बी कविता एक साहित्यिक विद्या के रूप में स्थापित हो चुकी हैं। लम्बी कविता का विकासक्रम अब आरम्भ हो चुका है। अपनी चौतरफा जग लड़ने के हथियार के रूप में लम्बी कविता की अपनी विशिष्ट एव सशक्त भूमिका हो सकती है। प्रत्येक कवि की जग अपनी है तरीका अपना है टेम्प्रामेंट अपना है अतः अपने शख्र के इस्तमाल का तर्रका भी अपना है। स्वाभाविक है कि तरह तरह की लम्बी कविताएँ अपनमी अलग अलग आगभा एवं सुगंध के साथ साहित्य-क्षेत्र में अवतरित होगी। हिन्दी भाषी प्रदेशों के उपरांत हिन्दी में लिखनेवाले विभिन्न प्रान्तों मे निवसित कवि भी अपने अपने प्रदेश की मिट्टी खाद जल और जलवायु के अनुकूल अपनी अभिव्यक्ति को ताशते हुए लम्बी कविताएँ लिखेंगे। अन्य भाषा-भाषी लम्बी कर्षिताओं क्री सलिधि बढ़ेगी और लम्बी कविताओं के ढेर लगेगे। समय के साथ साथ कुछ लम्बी कविताएँ कब्रिस्तानों में दफन हो जाएँगी कुछ दस्तावेज जनकर रह जाएँगी और कुछ पल्लवित-पुष्पित होकर गुलेगुलजार बनकर साहित्य की शोभा बढ़ाएँगी । विकास के इस सहज एवं अपेक्षाकृत लम्बे अम्तसल को मजरंदास महीं दिया जा सकता डॉ. संग्स्द्र मोहन के अथक प्रयास लगन एवं चिन्तन के फालग्यरूप लग्बी कविता को एक विशिए विधा के रूप मे साहित्य मे स्थापत्थ प्राप्त हुआ है। डॉ. नरस्द्र मोहन उत्कृष्ट कल आर मनीघी हैं। उम्होंने राग्यी करखियाएँ लिखी भी हैं और उनके या में याधक सिस्तन आर सनने भी किया है। उन्होन सिम्सी कविता मों के लिए जो भूमि तेयार की है उसको लेकर सना तरिए साहित्स ममीदी सनन चिस्तन की प्रक्रिया मेजर टॉष्रिगीचर हा