चंद्रशेखर चित्रवाली : आशुतोष धर | Chandra Shekhar Chitrawali : Ashutosh Dhar

चंद्रशेखर चित्रवाली : आशुतोष धर | Chandra Shekhar Chitrawali : Ashutosh Dhar

चंद्रशेखर चित्रवाली : आशुतोष धर | Chandra Shekhar Chitrawali : Ashutosh Dhar के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : चंद्रशेखर चित्रवाली है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Ashutosh Dhar | Ashutosh Dhar की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 112.6MB है | पुस्तक में कुल 168 पृष्ठ हैं |नीचे चंद्रशेखर चित्रवाली का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | चंद्रशेखर चित्रवाली पुस्तक की श्रेणियां हैं : Biography

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पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 112.6MB
कुल पृष्ठ : 168

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पगली ।
मुर्शिदाबान जाने २ रास्ते में नाव को पाङ्गत हाल कर अमियट आमोद कर रहा था। इसी समय कुछ दूर पर एक मैदान में रोने की आवाज सुनाई दी। अनिचट ने अचरज में आकर वहाँ जाकर देखा कि उसी दो पहर रात को मैदान के वध में अकेली रोती हुई अनुपम सुन्दरी “पसी में विद्यमान है। शैवलिनी के आकार प्रकार तथा बेमतलब की बात और हँसी दिला की बातें सुन र सभों ने अनुमान किया कि यह पाती है। शैवलिनी ने साने की इच्या प्रगट को। अमियट साहेब को आज्ञा पाकर तथा शैवलिनी के रूप में मुग्ध होकर एक गुलमान खानसामा बड़ी खुशी से उसके पास भात स्थिताने को हो गया। शैवलिनी ने कहा कि मैं ब्राह्मण की स्त्री हैं। मुसलमान के हाथ का माल नहीं पा सकती " । नव साहेब की आज्ञा से हात में पकड़ी गई शैवलिनी प्रताप की नाव पर ले जाई गई। यद्यपि हॉडी में मात नहीं था तौभी प्रकप ने कहा * हाँ भात है, कड़ी बोल दो। पगली को शिलासा है"।।
शैवलिनी को रिवा कर उसे अन्दर महल में पहुंचाने के लिये पीर धक्श सानसामा पहुत जल्दीबाजी कर रहा था। वह तुरत साहेब काका ले आया। और प्रताप की भगदी सोच वाली। शैवलिनी भीतर पेठी।
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