चिन्तन की मनोभूमि | Chintan Ki Manobumi

चिन्तन की मनोभूमि | Chintan Ki Manobumi

चिन्तन की मनोभूमि | Chintan Ki Manobumi के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : चिन्तन की मनोभूमि है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Upadhyay Amar Muni | Upadhyay Amar Muni की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 22.4 MB है | पुस्तक में कुल 510 पृष्ठ हैं |नीचे चिन्तन की मनोभूमि का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | चिन्तन की मनोभूमि पुस्तक की श्रेणियां हैं : philosophy

Name of the Book is : Chintan Ki Manobumi | This Book is written by Upadhyay Amar Muni | To Read and Download More Books written by Upadhyay Amar Muni in Hindi, Please Click : | The size of this book is 22.4 MB | This Book has 510 Pages | The Download link of the book "Chintan Ki Manobumi" is given above, you can downlaod Chintan Ki Manobumi from the above link for free | Chintan Ki Manobumi is posted under following categories philosophy |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 22.4 MB
कुल पृष्ठ : 510

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जीव और जगत्, आत्मा और परमात्मा, व्यक्ति और समाज आदि के शाश्वत तथ्यपरक सत्य का दिग्दर्शन कराना ही दर्शन का सही अर्थ है । सामान्य तौर पर लोग दर्शन का स्यूल अर्ष अत्मा-परमात्मा के रहस्योद्घाटन भर मान लेते हैं, किन्तु यह दर्शन का सर्वांगपूर्ण अर्थ नहीं है । दर्शन का अर्थ है-दृष्टि, और दृष्टि जीवन के बीच से जीवन का दर्शन करती है । यह अन्य बात है कि वह दृष्टि मात्र भौतिक माशल आयामों में ही उलझ कर न रह जाए, बल्कि जीवन के वास्तविक उद्देश्य का उद्घाटन करे।

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