देश सेवकों के संस्मरण | Desh Sevakon Ke Sansmaran

देश सेवकों के संस्मरण | Desh Sevakon Ke Sansmaran

देश सेवकों के संस्मरण | Desh Sevakon Ke Sansmaran

देश सेवकों के संस्मरण | Desh Sevakon Ke Sansmaran के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : देश सेवकों के संस्मरण है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Vishnu prabhakar | Vishnu prabhakar की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 05.2 MB है | पुस्तक में कुल 149 पृष्ठ हैं |नीचे देश सेवकों के संस्मरण का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | देश सेवकों के संस्मरण पुस्तक की श्रेणियां हैं : history, Knowledge

Name of the Book is : Desh Sevakon Ke Sansmaran | This Book is written by Vishnu prabhakar | To Read and Download More Books written by Vishnu prabhakar in Hindi, Please Click : | The size of this book is 05.2 MB | This Book has 149 Pages | The Download link of the book "Desh Sevakon Ke Sansmaran " is given above, you can downlaod Desh Sevakon Ke Sansmaran from the above link for free | Desh Sevakon Ke Sansmaran is posted under following categories history, Knowledge |

पुस्तक के लेखक :
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पुस्तक का साइज : 05.2 MB
कुल पृष्ठ : 149

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यदि उनके साहित्य का काल-क्रम से अध्ययन किया जाय तो एक बात ज्ञात होगी कि शुरुमे वह व्यक्तियो के बारे में अधिक लिखते थे, परतु जैसेजैसे समय बीतता गया, यह लेखन कम होता गया। जव ने उन्होने 'हरिजन' पत्री का प्रकाशन किया, तव ने तो हरिजन-सेवको को छोडकर और किसीके बारे में वह उन पुत्रो में नहीं लिखते थे। इन पत्रो को छोडकर पुस्तक आदि लिखने का समय अब उनके पास नहीं रहा था। फिर भी इस सबध में गावीजी के एक गण की वात विशेप उल्लेखनीय है । वह संपर्क में आनेवाले प्रत्येक व्यक्ति से, चाहे वह छोटा हो या वडा, विरोधी हो या सहयोगी, अधिक सेअधिक आत्मीयता स्थापित करने की चेष्टा करते थे।

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