दिव्य-दर्शन अथवा योग शास्त्र की वैज्ञानिक विवेचना | Divya Darshan Athwa Yog Shastra Ki Vaigyanik Vivechna

दिव्य-दर्शन अथवा योग शास्त्र की वैज्ञानिक विवेचना | Divya Darshan Athwa Yog Shastra Ki Vaigyanik Vivechna

दिव्य-दर्शन अथवा योग शास्त्र की वैज्ञानिक विवेचना | Divya Darshan Athwa Yog Shastra Ki Vaigyanik Vivechna के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : दिव्य-दर्शन अथवा योग शास्त्र की वैज्ञानिक विवेचना है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Dharmendranath Shastri | Dharmendranath Shastri की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 2.88 MB है | पुस्तक में कुल 124 पृष्ठ हैं |नीचे दिव्य-दर्शन अथवा योग शास्त्र की वैज्ञानिक विवेचना का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | दिव्य-दर्शन अथवा योग शास्त्र की वैज्ञानिक विवेचना पुस्तक की श्रेणियां हैं : Biography

Name of the Book is : Divya Darshan Athwa Yog Shastra Ki Vaigyanik Vivechna | This Book is written by Dharmendranath Shastri | To Read and Download More Books written by Dharmendranath Shastri in Hindi, Please Click : | The size of this book is 2.88 MB | This Book has 124 Pages | The Download link of the book "Divya Darshan Athwa Yog Shastra Ki Vaigyanik Vivechna" is given above, you can downlaod Divya Darshan Athwa Yog Shastra Ki Vaigyanik Vivechna from the above link for free | Divya Darshan Athwa Yog Shastra Ki Vaigyanik Vivechna is posted under following categories Biography |

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जत्र भोजन न पचेगा तय फौन कह सकता है कि अद्दिसा के वुनहरी नियम के पालन न करने से शारीरिफोन्नति हो सकती है। इसी कार अहिंसा के बाद योग के पर्पले ड्रङ्ग "यम" में आये अन्य नियम सत्य, अस्तेय (चोरी ने फरना ) ब्रह्मचय और अपरिगृह पर विचार किया जा सकता है । श्रीर विचार करने से इनमें से प्रत्येक शारीरिकौन्नति का साधन भी सिद्ध होगा। ऐसी हालत में क्षेवल शारीरिकोन्नतिः चाहने वालों के लिये भी यह अनिवार्य्य है कि वे इन वंदिर साधन पी अवहेलना न कर सकें ।

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