ज्ञानवली | Gyanvali के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : ज्ञानवली है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shetabchand Nahar | Shetabchand Nahar की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Shetabchand Nahar | इस पुस्तक का कुल साइज 11.7 MB है | पुस्तक में कुल 290 पृष्ठ हैं |नीचे ज्ञानवली का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | ज्ञानवली पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, Knowledge
Name of the Book is : Gyanvali | This Book is written by Shetabchand Nahar | To Read and Download More Books written by Shetabchand Nahar in Hindi, Please Click : Shetabchand Nahar | The size of this book is 11.7 MB | This Book has 290 Pages | The Download link of the book "Gyanvali" is given above, you can downlaod Gyanvali from the above link for free | Gyanvali is posted under following categories dharm, Knowledge |
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चंद्रानण जिन प्रथम जिनेसरु दूजा श्री सुचंदभगवन्तक, अगियसेण तीजा तीर्थंकर चौथा श्री नन्दसैण अरिहंतक॥त्रिकर्ण शुद्ध सदा जिन प्रणहूं ऐर्व खेत्र तणार चौवीसक ऋषभादिक स्वामी अनुक्रमे-हुया, एक समे जन्म्या जगदीपक निशदिन थुणीजै, बलिहारी छठा, जिनरायक सोमचंदं सातमा जिन समरूं, जुत्तिसेन आठमा सुपं सायक नवमा अजियसेण जिन प्रणहूं, दशमा श्री शिवसेण उदा।