हिंदी के अर्वाचीन रत्न | Hindi Ke Avarcheen Ratna

हिंदी के अर्वाचीन रत्न | Hindi Ke Avarcheen Ratna

हिंदी के अर्वाचीन रत्न | Hindi Ke Avarcheen Ratna के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : हिंदी के अर्वाचीन रत्न है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Dr. Vimal Kumar Jain | Dr. Vimal Kumar Jain की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 23 MB है | पुस्तक में कुल 307 पृष्ठ हैं |नीचे हिंदी के अर्वाचीन रत्न का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | हिंदी के अर्वाचीन रत्न पुस्तक की श्रेणियां हैं : literature

Name of the Book is : Hindi Ke Avarcheen Ratna | This Book is written by Dr. Vimal Kumar Jain | To Read and Download More Books written by Dr. Vimal Kumar Jain in Hindi, Please Click : | The size of this book is 23 MB | This Book has 307 Pages | The Download link of the book "Hindi Ke Avarcheen Ratna " is given above, you can downlaod Hindi Ke Avarcheen Ratna from the above link for free | Hindi Ke Avarcheen Ratna is posted under following categories literature |


पुस्तक के लेखक :
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पुस्तक का साइज : 23 MB
कुल पृष्ठ : 307

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भारतेन्दु जी को जन्म सं० १६०७ (सन् १८५०) में भाद्रपद शुक्ला पंचमी को काशी में हुआ था। इनके पिता का नाम गिरिधरदास था। जब ये पांच वर्ष के थे तो इनकी माता का देहान्त हो गया और पूरे दस वर्ष के भी न होने पाए थे कि इनके पिता की छत्रछाया इनके सिर से उठ गई। इन्होंने स्कूल और कालेज की शिक्षा पाई। अध्ययन काल में अंग्रेजी और हिन्दी का इन्हें अच्छा अभ्यास हो गया। इनकी बुद्धि बड़ी प्रखर थी, जिस विषय या भाषा को ध्यानपूर्वक थोड़े दिन भी देख लेते थे या अध्ययन कर लेते थे उसे हृदयंगम कर लेते थे। इन्होंने अंग्रेजी और हिन्दी के अतिरिक्त संस्कृत, फारसी एवं बंगला आदि भावानों का अध्ययन घर पर ही किया और प्रशंसनीय दक्षता प्राप्त की ।

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