जैन-बौद्ध तत्वज्ञान भाग-2 | Jain Bauddha Tatvagyan Part-2

जैन-बौद्ध तत्वज्ञान भाग-2 | Jain Bauddha Tatvagyan Part-2

जैन-बौद्ध तत्वज्ञान भाग-2 | Jain Bauddha Tatvagyan Part-2 के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : जैन-बौद्ध तत्वज्ञान भाग-2 है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Sital Prasad | Sital Prasad की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 20.4 MB है | पुस्तक में कुल 287 पृष्ठ हैं |नीचे जैन-बौद्ध तत्वज्ञान भाग-2 का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | जैन-बौद्ध तत्वज्ञान भाग-2 पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, Knowledge

Name of the Book is : Jain Bauddha Tatvagyan Part-2 | This Book is written by Sital Prasad | To Read and Download More Books written by Sital Prasad in Hindi, Please Click : | The size of this book is 20.4 MB | This Book has 287 Pages | The Download link of the book "Jain Bauddha Tatvagyan Part-2 " is given above, you can downlaod Jain Bauddha Tatvagyan Part-2 from the above link for free | Jain Bauddha Tatvagyan Part-2 is posted under following categories dharm, Knowledge |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : ,
पुस्तक का साइज : 20.4 MB
कुल पृष्ठ : 287

Search On Amazon यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

यदि निवर्ण अभाव या शून्य हो तो ऊपर लिखित विशेषण नहीं बन सक्ते है । विशेषण विशेष्यके ही होते है । जब निर्वाण विशेष्य है तब वह क्या है, चेतन है कि अचेतन । अचेतनके विशेषण नहीं होसक्के । तब एक चेतन द्रव्य रह जाता है। केवल, अजात, अक्षय, असस्कृत धातु आदि साफ साफ निर्वाणको कोई एक परसे भिन्न अजन्मा व अमर, शुद्ध एक पदार्थ झलकाते है । यह निर्वाण जैन दर्शन के निर्वाणसे मिल जाता है जहापर शुद्धात्मा या परमात्माको अपनी केवल स्वतत्र सत्ताको रखनेवाला बताया गया है ।

You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.