जल्दी मरने की उतावली न करें : पं श्रीराम शर्मा आचार्य | Jaldi Marne Ki Utavali Na Karein : Pt. Shreeram Sharma Acharya के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : जल्दी मरने की उतावली न करें है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Pt. Shreeram Sharma Acharya | Pt. Shreeram Sharma Acharya की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Pt. Shreeram Sharma Acharya | इस पुस्तक का कुल साइज 6.6 MB है | पुस्तक में कुल 64 पृष्ठ हैं |नीचे जल्दी मरने की उतावली न करें का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | जल्दी मरने की उतावली न करें पुस्तक की श्रेणियां हैं : health, inspirational, Knowledge
Name of the Book is : Jaldi Marne Ki Utavali Na Karein | This Book is written by Pt. Shreeram Sharma Acharya | To Read and Download More Books written by Pt. Shreeram Sharma Acharya in Hindi, Please Click : Pt. Shreeram Sharma Acharya | The size of this book is 6.6 MB | This Book has 64 Pages | The Download link of the book "Jaldi Marne Ki Utavali Na Karein" is given above, you can downlaod Jaldi Marne Ki Utavali Na Karein from the above link for free | Jaldi Marne Ki Utavali Na Karein is posted under following categories health, inspirational, Knowledge |
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इस प्रयोग के बाद उन्हीं वाओं के विपरीत निर्देश देकर उनके दूसरे परिणाम बता कर दिया गया तो देखने में आया कि पहले से सर्वथा भिन्न प्रतिक्रिया हुई है। पहले दिन पानी का इंजेक्शन साधारण दवा बता कर लगाया गया तो उससे न दर्द कम हुआ और न ही रोगी को नींद आई। इसके साथ ही दूसरे रोगी को नींद लाने का आश्वासन दिया गया तो उसे गहरी नींद आई । इन प्रयोगों के आधार पर डाक्टर जूलियस ने यह निष्कर्ष प्रतिपादित किया कि यथाएँ जितना परिणाम उत्पन्न करती है उनसे कहीं अधिक प्रभाव उनके संबंध में मान्यताओं का होता है।
इसके साथ ही यह भी एक तथ्य है कि एक ही तरह के दर्द को भिन्न भिन्न मन स्थिति के लोग अलग अलग तरह से अनुभव करते हैं । डरपोक किस्म के रोगी किसी प्रकार के दर्द के कारण बुरी तरह चीखते-सिनते हैं । मध्यम भनस्थिति वाले मात्र हलके हलके कराहते रहते हैं, लेकिन साहसी लोग इसी कष्ट को बहुत हल्का मानते हैं । युद्ध के मोर्चे पर घायल होने वाले सिपाही अपनी बहादुरी की मान्यता के आदेश में वन कष्ट अनुभव करते है. जबकि उतने ही घाद लगने पर अन्य कई गुना अधिक कष्ट अनुभव करते हैं।