जीवात्मा | Jeewatma के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : जीवात्मा है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Pt. Gangaprasad Upadhyay | Pt. Gangaprasad Upadhyay की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Pt. Gangaprasad Upadhyay | इस पुस्तक का कुल साइज 42.1 MB है | पुस्तक में कुल 236 पृष्ठ हैं |नीचे जीवात्मा का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | जीवात्मा पुस्तक की श्रेणियां हैं : Spirituality -Adhyatm
Name of the Book is : Jeewatma | This Book is written by Pt. Gangaprasad Upadhyay | To Read and Download More Books written by Pt. Gangaprasad Upadhyay in Hindi, Please Click : Pt. Gangaprasad Upadhyay | The size of this book is 42.1 MB | This Book has 236 Pages | The Download link of the book " Jeewatma" is given above, you can downlaod Jeewatma from the above link for free | Jeewatma is posted under following categories Spirituality -Adhyatm |
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“मैं” एक विश्वव्यापी शब्द है । बच्चे से लेकर बुड्ढ़े तक और मूर्ख से लेकर बुद्धिमान् तक सभी इसका प्रयोग करते हैं। मैं खाता हूँ, मैं सोता हूँ, “मैं दुःखी हूँ” “मैं जीवित हूँ", यह शब्द इतनी अधिकता से प्रयुक्त होता है। कि साधारण पुरुषों को तो यह भी विचार नहीं होता कि इसमें किसी प्रकार की विशेषता है । परन्तु सृष्टि की आदि से लेकर आज तक किसी देश और जाति के दार्शनिक इस उलझन को नहीं सुलझा सके कि “मैं'' हैं क्या वस्तु १ इस “मैं' शब्द का वाच्य कौन पदार्थ है ? हम किसको ''मैं'' कहते हैं ?