जिहाद और जन्नत : डॉ. के वी पालीवाल | Jihad Aur Jannat : Dr K V Paliwal के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : जिहाद और जन्नत है | इस पुस्तक के लेखक हैं : KV Paliwal | KV Paliwal की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : KV Paliwal | इस पुस्तक का कुल साइज 500 KB है | पुस्तक में कुल 48 पृष्ठ हैं |नीचे जिहाद और जन्नत का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | जिहाद और जन्नत पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, islam, world
Name of the Book is : Jihad Aur Jannat | This Book is written by KV Paliwal | To Read and Download More Books written by KV Paliwal in Hindi, Please Click : KV Paliwal | The size of this book is 500 KB | This Book has 48 Pages | The Download link of the book "Jihad Aur Jannat" is given above, you can downlaod Jihad Aur Jannat from the above link for free | Jihad Aur Jannat is posted under following categories dharm, islam, world |
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जन्नत-जीवन का मूल उद्देश्य
जन्नत अरबी के 'जन' शब्द से बना है जिसका अर्थ है, ढकना, और वह जगह, जो पौधों और वृक्षों से ढकी हो बाग कहलाता है। अतः बाग का अर्थ हुआ जन्नत। इस्लाम में बाग, जिसमें घर और आमोद-प्रमोद के साधन मौजूद हों, को जन्नत कहा गया है। यह अल्लाह द्वारा ईमानवालों को उनके नेक कामों के बदले उपहार में देने का प्रतीक है।
(करीम, पृ. ।) इस्लाम में जन्नत इतना महत्त्वपूर्ण विषय है कि कुरान के 114 सूराओं में से 74 में, इसका वर्णन किया गया है (इरफानी, पृ. 350-354)। अनेक आयतों में जन्नत को बार-बार सांसारिक जीवन से श्रेष्ठतर और इसे पाना जीवन की सफलता बताया गया है।
(ए) “हर जीव को मृत्यु का स्वाद चखना है और तुम्हें तुम्हारा भरपूर बदला 'कियामत' के दिन चुका दिया जाएगा तो, जिसे 'आग' ( जहन्नम) से हटा दिया गया और 'जन्नत' में दाखिल कर दिया गया, वह सफल रहा और सांसारिक जीवन तो केवल एक धोखे की सामग्री हैं।" 3 : 185, अनु. मुहम्मद फारूकखां और मुहम्मद अहमद)
( ) "आगवाले और बागवाले (जहन्नम वाले और जन्नत वाले) कभी समान नहीं हो सकते, जन्नत वाले ही सफल हैं। " ( 59 : 20) 2.1 मरणोत्तर जीवन में सैक्स-इस्लाम की विशेषता
यदि विश्वधर्मों की दृष्टि से देखें तो लगभग सभी धर्मों में स्वर्ग-नरक की अवधारणा है। तीनों सेमेटिक मतों यहूदी, ईसाइयत और इस्लाम में, ‘जन्नत' और 'जहन्नम' का वर्णन है। मगर यहूदी और ईसाई मत में मरणोत्तर यौन सुखों की व्यवस्था नहीं है।
केवल इस्लाम ही एक ऐसा मत है जिसमें विभिन्न श्रेणी के जन्नतों का वर्णन है जहाँ कि मरणोत्तर जीवन में भी भरपूर यौन सुखों की व्यवस्था है। हिन्दू धर्म में भी अच्छे और बुरे कर्म करने वालों के लिए कर्मानुसार स्वर्ग और नरक में सुख-दुखों