लाटी संहिता | Lati Sanhita के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : लाटी संहिता है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Darbari Lal Nyayateerthen | Darbari Lal Nyayateerthen की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Darbari Lal Nyayateerthen | इस पुस्तक का कुल साइज 4 MB है | पुस्तक में कुल 160 पृष्ठ हैं |नीचे लाटी संहिता का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | लाटी संहिता पुस्तक की श्रेणियां हैं : Spirituality -Adhyatm
Name of the Book is : Lati Sanhita | This Book is written by Darbari Lal Nyayateerthen | To Read and Download More Books written by Darbari Lal Nyayateerthen in Hindi, Please Click : Darbari Lal Nyayateerthen | The size of this book is 4 MB | This Book has 160 Pages | The Download link of the book "Lati Sanhita " is given above, you can downlaod Lati Sanhita from the above link for free | Lati Sanhita is posted under following categories Spirituality -Adhyatm |
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इस तरह पर ४३८ पद्य दोनों ग्रन्थों में समान है-अथवा यों कहना चाहिये कि लाटीसंहिताका एक चौथाईसे भी अधिक भाग पंचाध्यायीके साथ एक-वाक्यता रखता है । ये सब पद्य दूसरे पयोंके मध्यमें जिस स्थितिको लिये हुए हैं उस परसे यह नहीं कहा जा सकता कि वे 'क्षेपक' है या एक ग्रन्थकारने दूसरे ग्रन्थकारकी कृति परसे उन्हें चुराकर या उठाकर और अपने बनाकर रक्खा है । लाटीसंहिताके कर्ताने तो अपनी रचनाको 'अनुच्छिष्ट ' और 'नवीन' सूचित भी किया है और उससे यह पाया जाता है कि लाटीसंहितामें थोडेसे 'उक्तं च ' पद्योंको छोडकर शेष पय किसी दूसरे ग्रन्थकारकी कृति परसे नकल नहीं किये गये हैं। ऐसी हालतमें पद्योंकी यह समानता भी दोनों ग्रन्थोंके एक-कर्तृत्वको घोषित करती है । साथ ही लाटीसंहिताके निर्माणकी प्रथमताको भी कुछ बतलाती है।