मनुष्य जाति की प्रगति | Manushy Jati Ki Pragati के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : मनुष्य जाति की प्रगति है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Bhagwan Das Kela | Bhagwan Das Kela की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Bhagwan Das Kela | इस पुस्तक का कुल साइज 16 MB है | पुस्तक में कुल 386 पृष्ठ हैं |नीचे मनुष्य जाति की प्रगति का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | मनुष्य जाति की प्रगति पुस्तक की श्रेणियां हैं : history
Name of the Book is : Manushy Jati Ki Pragati | This Book is written by Bhagwan Das Kela | To Read and Download More Books written by Bhagwan Das Kela in Hindi, Please Click : Bhagwan Das Kela | The size of this book is 16 MB | This Book has 386 Pages | The Download link of the book "Manushy Jati Ki Pragati" is given above, you can downlaod Manushy Jati Ki Pragati from the above link for free | Manushy Jati Ki Pragati is posted under following categories history |
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अनुसन्धान करने वालों का मत है कि एक समय ऐसा रहा है यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि यह कब की या कितने लाख वर्ष पहले की बात है जब आदमी पशुओं की तरह जीवन व्यतीत करता था। वह नग्न अवस्था में कन्दरा या गुफाओं मे या पेड़ों की छाया में रहता और कुदरती तौर पर पैदा होने वाले कन्द-मूल फल या पत्ते आदि खाता था, या छोटे-छोटे कमजोर जानवरो का शिकार करता था । वह भी एक पशु था और उसे अपने भोजन के लिए दूसरे पशुओं से लड़ना झगड़ना पड़ता था।