मीराबाई का काव्य | Meerabai Ka Kavya के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : मीराबाई का काव्य है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Murlidhar Shrivastav | Murlidhar Shrivastav की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Murlidhar Shrivastav | इस पुस्तक का कुल साइज 7.87 MB है | पुस्तक में कुल 142 पृष्ठ हैं |नीचे मीराबाई का काव्य का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | मीराबाई का काव्य पुस्तक की श्रेणियां हैं : Poetry
Name of the Book is : Meerabai Ka Kavya | This Book is written by Murlidhar Shrivastav | To Read and Download More Books written by Murlidhar Shrivastav in Hindi, Please Click : Murlidhar Shrivastav | The size of this book is 7.87 MB | This Book has 142 Pages | The Download link of the book "Meerabai Ka Kavya " is given above, you can downlaod Meerabai Ka Kavya from the above link for free | Meerabai Ka Kavya is posted under following categories Poetry |
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मीरा के कृष्ण-प्रेम की जड़ बाल्यावस्था में ही जम चुकी थी। उसकी भक्ति संस्कार-मूलक थी, अतः उसे बाल्यावस्था में भगवद्भक्ति में रुचि हो गई थी । मीरा की माता का बाल्यावस्था में ही देहान्त हो गया था अतः वह मातृ-प्रेम की शीतल धारा से वंचित रही। पर इसका परिणाम यह हुआ कि माता के देहान्त के पश्चात् मीरा के पिता मह राव दूदा जी ने मीरा को बुला कर अपने पास मेड़ते में रख लिया । रावदूदा जी भगवान के परम भक्त थे और मीरा के बाल-हृदय पर दादा की भगवद्गति का अवश्य प्रभाव पड़ा होगा। मीरा भावुक थी अतः भगवद्भक्ति में उसको सरल हृदय लीन हो गया। वह स्वयं कहती है