मोरी धरती मैया | Mori Dharati Maiya के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : मोरी धरती मैया है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Jain Shrichandra | Jain Shrichandra की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Jain Shrichandra | इस पुस्तक का कुल साइज 9 MB है | पुस्तक में कुल 226 पृष्ठ हैं |नीचे मोरी धरती मैया का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | मोरी धरती मैया पुस्तक की श्रेणियां हैं : literature
Name of the Book is : Mori Dharati Maiya | This Book is written by Jain Shrichandra | To Read and Download More Books written by Jain Shrichandra in Hindi, Please Click : Jain Shrichandra | The size of this book is 9 MB | This Book has 226 Pages | The Download link of the book "Mori Dharati Maiya " is given above, you can downlaod Mori Dharati Maiya from the above link for free | Mori Dharati Maiya is posted under following categories literature |
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धरती माता की सत्ता चिरन्तन है। अखिल विश्व की वृष्टि का आधार धरती मैया है । चराचर की स्थिति धरती माता की दया पर अवलंबित है । पर्वत, पेड़, सागर, नदियाँ, सरोवर, महल, मकान आदि सब धरती माता की गोद में ही खेलते और कूदते है । मानव जाति के जीवन का आधार अन्न पृथ्वी पर ही उत्पन्न होता है । धन-संपत्ति का उपार्जन विश्वम्भरा भूमि पर ही समस्त संसार कर रहा है । वास्तव में पृथ्वी स्वयं सम्पत्ति रूपा है। हीरा, पन्ना, मोती, सोना, चाँदी, लोहा आदि का जन्म धरती मैया की कोख से हुआ है ।