मुद्राराक्षस | Mudrarakshas के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : मुद्राराक्षस है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Visakhadatta | Visakhadatta की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Visakhadatta | इस पुस्तक का कुल साइज 20.7 MB है | पुस्तक में कुल 173 पृष्ठ हैं |नीचे मुद्राराक्षस का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | मुद्राराक्षस पुस्तक की श्रेणियां हैं : comedy
Name of the Book is : Mudrarakshas | This Book is written by Visakhadatta | To Read and Download More Books written by Visakhadatta in Hindi, Please Click : Visakhadatta | The size of this book is 20.7 MB | This Book has 173 Pages | The Download link of the book "Mudrarakshas" is given above, you can downlaod Mudrarakshas from the above link for free | Mudrarakshas is posted under following categories comedy |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
शकटार ने बहुत दिन तक महा-मात्य का अधिकार भेगा था, इस से यह अनादर उस के पक्ष में अत्यन्त दुखदाई हुआ निय सत्त का बरतन हाथ में लेकर अपने परिवार से कहता कि जे एक भी नन्दवरा के जड़ से नाश करने म समर्थ है। वह यह सत्त खाय मत्नी के इस वाक्य से हो कर उस के परिवार का कोई भी सत्त, न खाता अन्त में कारागार की पीड़ा से एक एक कर के उस के परिवार के सब लोग मर गए ।