मुलतान दिगम्बर जैन समाज इतिहास के आलोक में | Multan Digamber Jain Samaj Itihas Ke Alok Mein के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : मुलतान दिगम्बर जैन समाज इतिहास के आलोक में है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Kasturchand Kasaleeval | Kasturchand Kasaleeval की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Kasturchand Kasaleeval | इस पुस्तक का कुल साइज 13.56 MB है | पुस्तक में कुल 260 पृष्ठ हैं |नीचे मुलतान दिगम्बर जैन समाज इतिहास के आलोक में का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | मुलतान दिगम्बर जैन समाज इतिहास के आलोक में पुस्तक की श्रेणियां हैं : history
Name of the Book is : Multan Digamber Jain Samaj Itihas Ke Alok Mein | This Book is written by Kasturchand Kasaleeval | To Read and Download More Books written by Kasturchand Kasaleeval in Hindi, Please Click : Kasturchand Kasaleeval | The size of this book is 13.56 MB | This Book has 260 Pages | The Download link of the book "Multan Digamber Jain Samaj Itihas Ke Alok Mein" is given above, you can downlaod Multan Digamber Jain Samaj Itihas Ke Alok Mein from the above link for free | Multan Digamber Jain Samaj Itihas Ke Alok Mein is posted under following categories history |
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मुलतान की सैनिक व व्यापारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थिति थी मुगलकाल में यह मुलतान सूबे की राजधानी रहा। यही आगरा व लाहौर से बड़ी मात्रा मे सूती कपड़ा, बंगाल के बने सूती वस्त्र, पगडिया, छीट, बुरहानपुर से सालू व थोडी मात्रा में मसाले आते थे जिनका फारस को निर्यात किया जाता था। फारस आसपास के क्षेत्र से बड़ी मात्रा मे यहा से शक्कर लाहौर व थट्टा भेजी जाती थी और थोड़ी बहुत अफीम भी यहा के बने धनुष सर्वश्रेष्ठ माने जाते थे । नगर का व्यापार मुख्य रूप से हिन्दू व जैन साहूकारो के हाथ में था ।