मुक्तक काव्य परम्परा और बिहारी | Muktak Kavya Parampara Aur Bihari

मुक्तक काव्य परम्परा और बिहारी | Muktak Kavya Parampara Aur Bihari

मुक्तक काव्य परम्परा और बिहारी | Muktak Kavya Parampara Aur Bihari के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : मुक्तक काव्य परम्परा और बिहारी है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Dr. Ramsagar Tripathi | Dr. Ramsagar Tripathi की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 60.0 MB है | पुस्तक में कुल 610 पृष्ठ हैं |नीचे मुक्तक काव्य परम्परा और बिहारी का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | मुक्तक काव्य परम्परा और बिहारी पुस्तक की श्रेणियां हैं : Poetry

Name of the Book is : Muktak Kavya Parampara Aur Bihari | This Book is written by Dr. Ramsagar Tripathi | To Read and Download More Books written by Dr. Ramsagar Tripathi in Hindi, Please Click : | The size of this book is 60.0 MB | This Book has 610 Pages | The Download link of the book "Muktak Kavya Parampara Aur Bihari " is given above, you can downlaod Muktak Kavya Parampara Aur Bihari from the above link for free | Muktak Kavya Parampara Aur Bihari is posted under following categories Poetry |


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पुस्तक का साइज : 60.0 MB
कुल पृष्ठ : 610

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रत्नाकर ने 'कविवर बिहारी' नामक पुस्तक में बिहारी के दो दोहाबद्ध जीवनचरित्रो का उल्लेख किया है। इसके देखने से ज्ञात होता है कि बिहारी बहुत समय तक शाहजहा बादशाह के दरबार में रहे थे। यह वह समय था, जबकि पडितराज' जगन्नाथ शाहजहा के यहां रहते थे । पंडितराज को भी शाहजहा के दरबार में लाने का श्रेय जयपुर के महाराज जयसिह को ही प्राप्त है। कहा जाता है कि बिहारी ने अपने भान्जे को पडितराज के द्वारा शिक्षा दिलवाई थी। इससे सिद्ध होता है कि बिहारी पडितराज के सम्पर्क में अवश्य आये होगे और उन्होने उनकी रचना रस-गगाधर का भी परिचय अवश्य प्राप्त किया होगा।

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