नवीन और प्राचीन काव्य धारा | Naveen Aur Prachin Kavya Dhara

नवीन और प्राचीन काव्य धारा | Naveen Aur Prachin Kavya Dhara

नवीन और प्राचीन काव्य धारा | Naveen Aur Prachin Kavya Dhara के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : नवीन और प्राचीन काव्य धारा है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Ramchandra Shukl | Ramchandra Shukl की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 09.0 MB है | पुस्तक में कुल 175 पृष्ठ हैं |नीचे नवीन और प्राचीन काव्य धारा का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | नवीन और प्राचीन काव्य धारा पुस्तक की श्रेणियां हैं : Knowledge

Name of the Book is : Naveen Aur Prachin Kavya Dhara | This Book is written by Ramchandra Shukl | To Read and Download More Books written by Ramchandra Shukl in Hindi, Please Click : | The size of this book is 09.0 MB | This Book has 175 Pages | The Download link of the book "Naveen Aur Prachin Kavya Dhara" is given above, you can downlaod Naveen Aur Prachin Kavya Dhara from the above link for free | Naveen Aur Prachin Kavya Dhara is posted under following categories Knowledge |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 09.0 MB
कुल पृष्ठ : 175

Search On Amazon यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

आज से कोई चार वर्ष पूर्व जब मै काशी में हिंदी की नवीन धारी। वाले कवियों का अध्ययन कर रहा था, एक दिन मेरे मन में आया कि हिदी की प्राचीन और नवीन काव्य धारा की तुलनात्मक समीक्षा क्यो न कर डालें पर गुरुवर आचार्य प० रामचंद्र जी शुक्ल की कतिपय पुस्तकों की ओर ध्यान जाते ही मेरा साहस छूटने लगा जो कुछ कहना था वह तो आचार्यजी ही कह गए, मै नई बात क्या लिखेंगा पर यह विषय मुझे इतना रुचिकर प्रतीत हुआ कि मैं अपनी इच्छा अपने परम प्रिय प० विश्वनाथप्रसादजी मिश्च से प्रकट किए बिना न रह सका।

You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.