नयी किरण – नया सबेरा | Nayi Kiran – Naya Sabera के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : नयी किरण – नया सबेरा है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shri Mishri Lal Jain | Shri Mishri Lal Jain की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Shri Mishri Lal Jain | इस पुस्तक का कुल साइज 4.4 MB है | पुस्तक में कुल 130 पृष्ठ हैं |नीचे नयी किरण – नया सबेरा का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | नयी किरण – नया सबेरा पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays
Name of the Book is : Nayi Kiran – Naya Sabera | This Book is written by Shri Mishri Lal Jain | To Read and Download More Books written by Shri Mishri Lal Jain in Hindi, Please Click : Shri Mishri Lal Jain | The size of this book is 4.4 MB | This Book has 130 Pages | The Download link of the book " Nayi Kiran – Naya Sabera " is given above, you can downlaod Nayi Kiran – Naya Sabera from the above link for free | Nayi Kiran – Naya Sabera is posted under following categories Stories, Novels & Plays |
यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
सूर्योदयके पूर्व मैंने ज्ञातृवंशके समर्थ सूर्य वर्द्धमान महावीरके शयन-कक्षमें प्रवेश किया। सध्यामें सज्जित शय्या प्रति.काल उपेक्षित पड़ी रही-राजकुमार रात्रिमें सोये नही थे । कम्बल तथा बहुमूल्य शालोंकी तहतक नही खोली गई थी । कीमती उत्तरीय कक्षमें एक ओर पड़ा था। सूर्यको किरणे जब वर्द्धमान की देहपर पड़ी तो वर्द्धमान बोले, “सूर्यकी सुहागिन बेटियो, भविष्यमें वर्द्धमान तुम्हे इस कक्षमे नही मिलेगा। वह समयपर शिलालेख लिखने जा रहा है। वह ज्ञान-रश्मियोंकी खोजमें, केवलज्ञानकी खोज में जा रहा है, वह अब बीहड़ वनोमें, पर्वतोंपर, सरिताओके तटपर मिलेगा।" रश्मिने सन्देश समाप्त किया । नृप सिद्धार्थ सन्देश सुनकर प्रथम क्षण स्तब्ध रह गये, दूसरे क्षण प्रकृतिस्थ होकर अपनी ग्रीवामे सुशोभित एकावली उतारकर दासीकी ओर उछाल दिया।