नित्यपूजा विधान : सूरजभानु वकील | Nitaya Puja Vidhan : Suraj Bhanu vakil के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : नित्यपूजा विधान है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Suraj Bhanu vakil | Suraj Bhanu vakil की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Suraj Bhanu vakil | इस पुस्तक का कुल साइज 14.2MB है | पुस्तक में कुल 238 पृष्ठ हैं |नीचे नित्यपूजा विधान का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | नित्यपूजा विधान पुस्तक की श्रेणियां हैं : jain
Name of the Book is : Nitaya Puja Vidhan | This Book is written by Suraj Bhanu vakil | To Read and Download More Books written by Suraj Bhanu vakil in Hindi, Please Click : Suraj Bhanu vakil | The size of this book is 14.2MB | This Book has 238 Pages | The Download link of the book "Nitaya Puja Vidhan" is given above, you can downlaod Nitaya Puja Vidhan from the above link for free | Nitaya Puja Vidhan is posted under following categories jain |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
सुतआषाढ़ आयो पावसकोछ । सिरपर गजंत यम विकराल ॥ लेहुराज सुख करहु विनीत । हम बन जाय बन की रीति ॥६॥
गीता छन्द-जांय तप के हेत बन को भोग तज़ संमय धरे । तज ग्रंथ सय निर्घन्ध हो संसार सागर से तरे। यही हमारे मन वसी सुम रहो धोरत धारके। कुल आपने की रीति चालो राजनीति विचार के ॥ ७ ॥ चौपाई-पिता राज तुम कीनो यौन। नाहि ग्रहण हम समरथ ही न। यह भाग भीगन की व्यथा। प्रगट करत कर कंगन यथा ॥८॥ गीताछन्द-ययाकरका कांगना मन्मवप्रगट नजरापरे । त्यही पिता भीरा निषि भव भोग से मन थरहरे ॥ तुम ने वन के वासही को सुख अंगीकृत किया । नमरी समझसोईसमझ हम हमें नृप पद क्याटियार | चौपाई-प्रावण पुत्र करिन बनवास । जस | थल सीत पवन के त्रास ॥ जो नहिं पले साधु