प्रेमचंद सुभाषित और सूक्तियां हिंदी पुस्तक मुफ्त पीडीऍफ़ डाउनलोड | Premchand Subhashit Aur Suktiyan Hindi Book Free PDF Download

प्रेमचंद सुभाषित और सूक्तियां : प्रेमचंद | Premchand Subhashit Aur Suktiyan : Premchand

प्रेमचंद सुभाषित और सूक्तियां : प्रेमचंद | Premchand Subhashit Aur Suktiyan : Premchand

प्रेमचंद सुभाषित और सूक्तियां : प्रेमचंद | Premchand Subhashit Aur Suktiyan : Premchand के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : प्रेमचंद सुभाषित और सूक्तियां है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Munshi Premchand | Munshi Premchand की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 5.1 MB है | पुस्तक में कुल 196 पृष्ठ हैं |नीचे प्रेमचंद सुभाषित और सूक्तियां का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | प्रेमचंद सुभाषित और सूक्तियां पुस्तक की श्रेणियां हैं : education, inspirational, Stories, Novels & Plays

Name of the Book is : Premchand Subhashit Aur Suktiyan | This Book is written by Munshi Premchand | To Read and Download More Books written by Munshi Premchand in Hindi, Please Click : | The size of this book is 5.1 MB | This Book has 196 Pages | The Download link of the book "Premchand Subhashit Aur Suktiyan" is given above, you can downlaod Premchand Subhashit Aur Suktiyan from the above link for free | Premchand Subhashit Aur Suktiyan is posted under following categories education, inspirational, Stories, Novels & Plays |

पुस्तक के लेखक :
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पुस्तक का साइज : 5.1 MB
कुल पृष्ठ : 196

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हमारी अन्तिम घडियाँ किसी अपूर्ण साध को अपने हिप के भीतर छिपाये हुए होती है । मृत्यु पहले हमारी सारी ईष्र्या, सारा भेद-भाव, सारा 'ष नष्ट करती है। जिनकी सुरत से हमें पृणा होती है उनसे फिर यही पुराना सौहार्द, पुरानी मैत्री करने के लिए, उनको गले लगाने के लिए हम उत्सुक हो जाते हैं । जो कुछ कर सकते थे और न कर सके उसी की एक साध रह जाती है। मानसरोवर-झागा पीछा
जिस प्रकार शमी सिपाही अपनी जीत ना समाचार पर अपना दर्द, अपनी पीडा भुल जाता है उसी प्रकार क्षण भर के लिए मौत भी हेय हो जाती है।
—मानसोयर-अागा पीछा | हमारा अन्त समय कैसा धन्य होता है । वह हमारे पास ऐसे ऐसे भनितकारियों को तीन लाता है, जो कुछ दिन पूर्व हमारा मुख नही देखना चाहते थे और जिन्हें इस शक्ति के अतिरिक्त सशार मी पन्य शक्ति पराजित न कर सकती थी । हाँ, यह ममय ऐसा ही बलवान है और बड़े बड़े वायुमो को हमारे पाधोग कर देता है । जिम पर हुम गोभी विजय न प्रान्त कर सकते थे उन पर हमें यह समय विजयी बना नेता
है। जिन पर हम किसी शस्त्र गे पार न पा सकते थे, उन पर गह | समय शरीर के शक्तिहीन हो जाने पर भी हमें विजयी बना देता।

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