राघवयादवीयम स्त्रोत्राणि | Raghavyadaveeyam Strotraani

राघवयादवीयम स्त्रोत्राणि | Raghavyadaveeyam Strotraani

राघवयादवीयम स्त्रोत्राणि | Raghavyadaveeyam Strotraani

राघवयादवीयम स्त्रोत्राणि | Raghavyadaveeyam Strotraani के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : राघवयादवीयम स्त्रोत्राणि है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Rajiv Dixit | Rajiv Dixit की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 2.0 MB है | पुस्तक में कुल 14 पृष्ठ हैं |नीचे राघवयादवीयम स्त्रोत्राणि का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | राघवयादवीयम स्त्रोत्राणि पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm

Name of the Book is : Raghavyadaveeyam Strotraani | This Book is written by Rajiv Dixit | To Read and Download More Books written by Rajiv Dixit in Hindi, Please Click : | The size of this book is 2.0 MB | This Book has 14 Pages | The Download link of the book " Raghavyadaveeyam Strotraani" is given above, you can downlaod Raghavyadaveeyam Strotraani from the above link for free | Raghavyadaveeyam Strotraani is posted under following categories dharm |

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पुस्तक का साइज : 2.0 MB
कुल पृष्ठ : 14

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भारत अपने ज्ञान-विज्ञान के लिए संसार भर में प्रसिद्ध है, इसमें कोई संदेह नहीं है ! उसी का ही एक उदहारण है राघवयादवीयम् भारत के कांचीपुरम क्षेत्र के 17वीं सदी के महान कवि वेंकटाध्वरि द्वारा रचित ग्रन्थ “राघवयादवीयम्” एक अद्भुत ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ को 'अनुलोमविलोम काव्य' के रूप में जाना जाता है। इस स्त्रोत की अदभुत बात यह है कि जब आप इस स्तोत्र को सीधा पढ़ते है तो यह रामकथा के रूप में पढ़ी जाती है,और जब इसी स्तोत्र में लिखे शब्दों को उल्टा करके पढ़ते है तो यह कृष्ण भागवत की कथा के रूप में पढ़ी जाती है। इस पूरे ग्रन्थ में केवल 30 श्लोक हैं। इन श्लोकों को सीधे-सीधे पढ़ते जाएँ, तो रामकथा बनती है और विपरीत में पढ़ने पर कृष्णकथा बनती है।

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