श्री गुरु हरि राय जी | Shri Guru Hari Rai Ji के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : श्री गुरु हरि राय जी है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Jasbeer Singh | Jasbeer Singh की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Jasbeer Singh | इस पुस्तक का कुल साइज 200 KB है | पुस्तक में कुल 14 पृष्ठ हैं |नीचे श्री गुरु हरि राय जी का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | श्री गुरु हरि राय जी पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm
Name of the Book is : Shri Guru Hari Rai Ji | This Book is written by Jasbeer Singh | To Read and Download More Books written by Jasbeer Singh in Hindi, Please Click : Jasbeer Singh | The size of this book is 200 KB | This Book has 14 Pages | The Download link of the book "Shri Guru Hari Rai Ji" is given above, you can downlaod Shri Guru Hari Rai Ji from the above link for free | Shri Guru Hari Rai Ji is posted under following categories dharm |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
श्री गुरू हरिगोविन्द साहब के पाँच पुत्र थे किन्तु दो पुत्रों ने स्वेच्छा से योग बल द्वारा शरीर त्याग दिया था। आप के सबसे छोटे पुत्र त्यागमल, जिस का नाम बदल कर आपने तेग बहादुर रखा था, बहुत ही योग्य थे किन्तु आप तो विद्याता की इच्छा को मद्देनजर रख के अपने छोटे पौत्र हरिराय को बहुत प्यार करते और उनके प्रशिक्षण पर विशेष बल दे रहे थे। आप की दृष्टि में वही सर्वगुण सम्पन्न थे और वही गुरू नानक की गद्दी के उत्तराधिकारी बनने की योग्यता रखते थे। अत: आपने एक दिन यह निर्णय समस्त संगत के सामने रख दिया। संगत में से बहुत से निकटवर्तियों ने कहा - आप तो बिल्कुल स्वस्थ हैं, फिर यह निर्णय कैसा किन्तु गुरूदेव जी ने उत्तर दिया - प्रभु इच्छा अनुसार वह समय आ गया है, जब हमने इस मानव शरीर को त्याग कर प्रभु चरणों में विलीन होना है।