श्रीविष्णु सहस्त्रनाम | Shri Vishnu Sahastranama के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : श्रीविष्णु सहस्त्रनाम है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shankarachrya | Shankarachrya की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Shankarachrya | इस पुस्तक का कुल साइज 8 MB है | पुस्तक में कुल 289 पृष्ठ हैं |नीचे श्रीविष्णु सहस्त्रनाम का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | श्रीविष्णु सहस्त्रनाम पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm
Name of the Book is : Shri Vishnu Sahastranama | This Book is written by Shankarachrya | To Read and Download More Books written by Shankarachrya in Hindi, Please Click : Shankarachrya | The size of this book is 8 MB | This Book has 289 Pages | The Download link of the book "Shri Vishnu Sahastranama " is given above, you can downlaod Shri Vishnu Sahastranama from the above link for free | Shri Vishnu Sahastranama is posted under following categories dharm |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
महाभारत में भगवान्के अनन्य भक्त पितामह भीष्मद्वारा भगवान्के जिन परम पवित्र सहस्र नामका उपदेश किया गया, उसीको श्रीविष्णुसहस्रनाम कहते हैं । भगवान् के नाम की महिमा अनन्त है । हीरा, लाग्छ, पन्ना सभी बहुमूल्य रत्न हैं, पर यदि वे किसी निपुण जदियेके द्वारा सम्राटके किरीटमे यथास्थान जड़ दिये जायें तो उनकी शभा बहुत बढ़ जाती है और अलग-अलग एक-एक दाने की अपेक्षा उस जड हुए किरीटको मूल्य भी बहुत बढ़ जाता है । यद्यपि भगवान्के नामके साथ किसी उदाहरणको समता नहीं हो सकती, तथापि समझने के लिये इस उदाहरणके अनुसार भगवान्के एक सहस्र नामोंको शास्त्रकी तिम यथाम्यान आगे-पीछे जो जहाँ आना चाहिये था-वह जईकर भीष्ममा निपुण जरियेने यह एक परम सुन्दर, परम आनन्दप्रद अमूल्य वस्तु तैयार कर दी हैं।