श्री क्रमनय प्रदीपिका | Sri Kramanaya Pradipika के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : श्री क्रमनय प्रदीपिका है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Swami Lakshman Joo | Swami Lakshman Joo की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Swami Lakshman Joo | इस पुस्तक का कुल साइज 9.2 MB है | पुस्तक में कुल 54 पृष्ठ हैं |नीचे श्री क्रमनय प्रदीपिका का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | श्री क्रमनय प्रदीपिका पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm
Name of the Book is : Sri Kramanaya Pradipika | This Book is written by Swami Lakshman Joo | To Read and Download More Books written by Swami Lakshman Joo in Hindi, Please Click : Swami Lakshman Joo | The size of this book is 9.2 MB | This Book has 54 Pages | The Download link of the book "Sri Kramanaya Pradipika" is given above, you can downlaod Sri Kramanaya Pradipika from the above link for free | Sri Kramanaya Pradipika is posted under following categories dharm |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
आचार्य अभिनवगुप्त जी द्वारा रचित श्रीतंत्रालोक में बारह कालियों का वर्णन अतिरहस्य-पूर्ण रीति से किया गया है। इस ग्रन्थ के चौथे आह्निक (शाक्तोपाय) में यद्यपि ग्रन्थकार ने इस विषय पर एक विशद प्रकरण की रचना की है, तथापि विषय के गम्भीर होने के कारण प्रायः जिज्ञासुजन उसे समझने से वञ्चित ही रहते हैं। हम ने दयालु गुरुमहाराज की छत्रछाया में बैठ कर कई बार इस प्रकरण को पढ़ा, सोचा तथा मनन भी किया, किन्तु फिर भी इन बारह कालियों का महत्त्व, इन की उपयोगिता एवं इन का वास्तविक मर्म क्या है यह न समझ पाये।