सुबोधप्रभाकर : गीता प्रेस हिंदी पुस्तक मुफ्त पीडीऍफ़ डाउनलोड | Subodhprabhakar : Geeta Press Hindi Book Free PDF Download

सुबोधप्रभाकर : गीता प्रेस | Subodhprabhakar : Geeta Press

सुबोधप्रभाकर : गीता प्रेस | Subodhprabhakar : Geeta Press

सुबोधप्रभाकर : गीता प्रेस | Subodhprabhakar : Geeta Press के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : सुबोधप्रभाकर है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shankaracharya | Shankaracharya की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 1.6 MB है | पुस्तक में कुल 86 पृष्ठ हैं |नीचे सुबोधप्रभाकर का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | सुबोधप्रभाकर पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, hindu, inspirational

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पुस्तक का साइज : 1.6 MB
कुल पृष्ठ : 86

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प्रबोधसुधाकर
यद्यपि भगवान् ऐसे हैं तथापि अध्यात्मशास्त्रोंके सारोसे तथा हरि-चिन्तन और कीर्तनाभ्यासादिसे उनका कथन किया ही जाता है। क्लुप्तैर्बहुभिरुपायैरभ्यासज्ञानभक्त्याचैः ।। पुंसो बिना विरागं मुक्तेरधिकारिता न स्यात् ।। ४ ।।
| सम्पादन किये हुए अभ्यास, ज्ञान और भक्ति आदि नानी उपायों से भी बिना वैराग्यके मनुष्यको मुक्तिका अधिकार नहीं होता। वैराग्यमात्मबोधो भक्तियेति त्रयं गदितम् । मुक्तेः साधनमादौ तत्र विरागो वितृष्णता प्रोक्ता ॥ ५ ॥ | वैराग्य, आरमज्ञान और भक्ति-मुक्तिके ये तीन साधन बतलाये गये हैं, इनमें तृष्णाहीनतारूप वैराग्य हो प्रथम है । सा चाहंममताभ्यां प्रच्छन्ना सर्वदेहेषु । तत्राता देहे ममता भार्यादिविषयेषु ।। ६ ।।
वह वितृष्णता समस्त देहधारियोंके भीतर अहंता और ममतासे छिपी हुई है। उनमें से अहंता देहमें होती है और ममता जी-धन आदि विषयोंमें हुआ करती है। देहः किमात्मकोऽयं कः सम्बन्धोऽस्य वा विषयैः। एवं विचार्यमाणेऽहंताममते निवर्तते ॥ ७ ॥
'यह देह किससे बना है और इसका विषयॊसे क्या सम्बन्ध

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