सुर्य्यास्त | Suryyast के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : सुर्य्यास्त है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Govind Ballabh Pant | Govind Ballabh Pant की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Govind Ballabh Pant | इस पुस्तक का कुल साइज 7 MB है | पुस्तक में कुल 178 पृष्ठ हैं |नीचे सुर्य्यास्त का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | सुर्य्यास्त पुस्तक की श्रेणियां हैं : Knowledge, Stories, Novels & Plays
Name of the Book is : Suryyast | This Book is written by Govind Ballabh Pant | To Read and Download More Books written by Govind Ballabh Pant in Hindi, Please Click : Govind Ballabh Pant | The size of this book is 7 MB | This Book has 178 Pages | The Download link of the book "Suryyast" is given above, you can downlaod Suryyast from the above link for free | Suryyast is posted under following categories Knowledge, Stories, Novels & Plays |
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शाभमियां ज्योति उस समय अपने मन से विश्वका ऋगार कर रही थी । गन्ने का नासः पथ। प्रकृति शान, धीर और अठासत थी । सामने ही छोटी से बनास नदी चुपचाप बहूता वाली जा रही थी, चारो ओर अरावली पर्वत अपने ऊँचे मस्तक से मानो ससार झा परि दर्शन कर रहा था । निकट है नाथद्वार नगर के महल, मन्दिर, ध्वजा इत्यादि दिखाई दे रहे थे, सव वीरव शात थे। चन्द्रकिरण नानीर में, गिरिचड़ी में तथा मलही में प्रतिवास्थत होकर झलमला रही थी ऐस समय अमरसिंह नाथद्वार के समीप बूनस के तट में एक शिलाखंड में वैठे भूत और भविष्य की भावनावों में लीन हो रहे थे।