ट्रेकिंग : मनोहर पुरी | Tracking : Manohar Puri के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : ट्रेकिंग है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Manohar Puri | Manohar Puri की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Manohar Puri | इस पुस्तक का कुल साइज 11 MB है | पुस्तक में कुल 183 पृष्ठ हैं |नीचे ट्रेकिंग का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | ट्रेकिंग पुस्तक की श्रेणियां हैं : others
Name of the Book is : Tracking | This Book is written by Manohar Puri | To Read and Download More Books written by Manohar Puri in Hindi, Please Click : Manohar Puri | The size of this book is 11 MB | This Book has 183 Pages | The Download link of the book "Tracking" is given above, you can downlaod Tracking from the above link for free | Tracking is posted under following categories others |
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पर्वतारोहण एवं पर्वतों से जुड़े साहसिक खेलों का प्रथम चरण है ट्रैकिंग। जिस प्रकार व्यक्ति जीवन के प्रारंभ में धीरे-धीरे चलना सीखता है, उसी तर्ज पर पहाड़ों से उसका परिचय ट्रैकिंग के माध्यम से होता है। ट्रैकिंग पर्वतों से गहरी जान-पहचान होने से पहले का सोपान है। पर्वतारोहण, रॉक क्लाईमिंग अथवा स्कींग इत्यादि जितने भी साहसिक खेल पर्वतों के मध्य खेले जाते हैं उनका प्रथम पाठ ट्रैकिंग से प्रारंभ होता है। ट्रैकिंग के द्वारा ही व्यक्ति यह सीखता है कि उसे पहाड़ों पर कैसा व्यवहार करना चाहिए, वहां पर कैसे चलना चाहिए अथवा कैसे पर्वतों को अपने अनुकूल बनाकर अपनी कठिन यात्रा को आनंददायक एवं सुखद बनाना चाहिए।
ट्रैकिंग व्यक्ति के भीतरी गुणों को उभारकर सामने लाती है और उसे समाज का बेहतर नागरिक बनने में सहयोग देती है। उसमें नेतृत्व के गुण विकसित करती है। परस्पर सहयोग एवं सद्भावना के गुणों को आवश्यक भूमि प्रदान कर इन गुणों को अंकुरित करती है। ट्रैकिंग व्यक्ति को निडर, साहसी और स्वावलंबी बनाती है। उसमें ध्येय प्राप्ति की दृढ़ता का सृजन करती है।
| यह विश्वव्यापी मान्यता है कि ट्रैकिंग पर जाने से पहले व्यक्ति जैसा होता है वैसा ही वापस नहीं लौटता। उसके व्यवहार एवं क्षमताओं में आने वाले बदलाव आश्चर्यजनक होते हैं। आत्मविश्वास से भरा व्यक्ति जब ट्रैकिंग अभियान से वापस लौटता है तो उसका उत्साह देखते ही बनता है। प्रारंभ में भले ही एक-दो दिन वह थकान का अनुभव करे परंतु बाद में ट्रैकिंग अभियान की खट्टी-मीठी यादों का भंडार उसकी पूंजी बनकर जीवन के हर मोड़ पर उसका मार्गदर्शन करता है।
विश्व की सर्वोच्च पर्वत श्रृंखलाओं का देश होने के बावजूद भारतीय युवकों का रुझान ट्रैकिंग के प्रति बहुत अधिक उत्साहजनक नहीं रहा है। इस शताब्दी के छठे दशक तक तो हम ट्रैकिंग और पर्वतारोहण जैसे खेलों से अनजान ही थे। ये गतिविधियां हमें पश्चिमी देशों की विलासिता का प्रदर्शन करने वाले खेल लगते थे। जो लोग इसके बारे में जानते भी थे तो उनकी निगाह में यह खर्चीला और बेकार का जोखिमभरा खेल था। बाद में थोड़ी-बहुत ट्रैकिंग स्कूल-कालेज के छात्रों द्वारा की जाने लगी, तो हमें ज्ञात हुआ कि अन्य अनेक खेलों की तरह ट्रैकिंग भी एक