वेद के आख्यानों का यथार्थ स्वरूप | Ved Ke Akhyano Ka Yatharth Svarup के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : वेद के आख्यानों का यथार्थ स्वरूप है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Vaidya Ramgopal Shastri | Vaidya Ramgopal Shastri की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Vaidya Ramgopal Shastri | इस पुस्तक का कुल साइज 9.8 MB है | पुस्तक में कुल 69 पृष्ठ हैं |नीचे वेद के आख्यानों का यथार्थ स्वरूप का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | वेद के आख्यानों का यथार्थ स्वरूप पुस्तक की श्रेणियां हैं : philosophy
Name of the Book is : Ved Ke Akhyano Ka Yatharth Svarup | This Book is written by Vaidya Ramgopal Shastri | To Read and Download More Books written by Vaidya Ramgopal Shastri in Hindi, Please Click : Vaidya Ramgopal Shastri | The size of this book is 9.8 MB | This Book has 69 Pages | The Download link of the book " Ved Ke Akhyano Ka Yatharth Svarup" is given above, you can downlaod Ved Ke Akhyano Ka Yatharth Svarup from the above link for free | Ved Ke Akhyano Ka Yatharth Svarup is posted under following categories philosophy |
यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
१९६९ के फरवरी मास में दिल्ली के कई कॉलेजों में वेद सम्बन्धी व्याख्यान हुए, जिनमें से एक व्याख्यान दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष डा० मयङ्कर ने लालबहादुर शास्त्री संस्कृत विद्यापीठ में दिया। उसमें उन्होंने कहा कि आर्य लोग भारत में बाहर से आए थे, और यहाँ के मूल निवासी कोल, भील, द्रविड़ आदि थे। इस व्याख्यान के श्रोताओं में से प्रो० रामस्वरूप एम० ए० तथा डा० वेदमित्र एम० ए० ने आकर हमें बताया, कि राजधानी में आर्य समाज की उपस्थिति में इस प्रकार का वेद-विरोधी मिथ्या प्रचार हो रहा है। इस सूचना के अनन्तर गम्भीर विचार-विमर्श के पश्चात् २५.१०.७० को दिल्ली तथा अजमेर, मेरठ, गाजियाबाद और सोनीपत से प्रकाण्ड आर्य विद्वानों को निमन्त्रित किया गया।