विजनवती | Vijanwati

विजनवती | Vijanwati

विजनवती | Vijanwati के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : विजनवती है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Ilachandra Joshi | Ilachandra Joshi की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 10 MB है | पुस्तक में कुल 133 पृष्ठ हैं |नीचे विजनवती का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | विजनवती पुस्तक की श्रेणियां हैं : Poetry

Name of the Book is : Vijanwati | This Book is written by Ilachandra Joshi | To Read and Download More Books written by Ilachandra Joshi in Hindi, Please Click : | The size of this book is 10 MB | This Book has 133 Pages | The Download link of the book "Vijanwati" is given above, you can downlaod Vijanwati from the above link for free | Vijanwati is posted under following categories Poetry |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 10 MB
कुल पृष्ठ : 133

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अन्तर में तुम दम अकेली व्याप रही हो ! मुग्ध सजल नयन में एक स्वप्न के समान, हृदय-वृन्त-शयन में एक पदय के समान,असीम चित्त-गगन में एक मात्र चन्द्र के समान स्थिर हो, जब कि चरों ओर चिर-गामिनी विराज रही है |

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