अफगानिस्थान का इतिहास | Afghanistan Ka Itihas के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : अफगानिस्थान का इतिहास है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Unknown | Unknown की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Unknown | इस पुस्तक का कुल साइज 5.34 MB है | पुस्तक में कुल 160 पृष्ठ हैं |नीचे अफगानिस्थान का इतिहास का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | अफगानिस्थान का इतिहास पुस्तक की श्रेणियां हैं : history, education
Name of the Book is : Afghanistan Ka Itihas | This Book is written by Unknown | To Read and Download More Books written by Unknown in Hindi, Please Click : Unknown | The size of this book is 5.34 MB | This Book has 160 Pages | The Download link of the book "Afghanistan Ka Itihas" is given above, you can downlaod Afghanistan Ka Itihas from the above link for free | Afghanistan Ka Itihas is posted under following categories history, education |
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फारसी भाघानें अफगानस्थलको अफगानिस्तान कहते हैं । च्यफगान यौर सतां, इन दो शब्दोंकौ सन्धिसे इसकी उत्पत्ति है। सतां मानी रहनेकी जगह यौर अफगान जाति विशेष का नाम है। अफगान नासके सम्बन्ध में कई कहानियां हैं। बेलिउ साहब अपने जरनलमें कहते हैं, कि वैतुलमुकद्दस वा इरूशलीसके प्रतिपक अफगनाको साताको अफगनाके जननेके समय । वड़ी पीड़ा हुई। उसने परमेश्वरसे कट मोचनको प्रार्थना की। इसके उपरान्त ही पुत्र प्रसव किया और कहा, “व्यफराना।” यानी "मैं वचो !” इस वातपर शिशु का नाम अपनगना पड़ा। अफगना अफगानका पूर्वपुरुष घा। उसके नासपर उसकी जातिका नाम अफगान रखा गया। वैलिउ साहब हो । दूसरी कहानी कहते हैं, कि अफगनाको ऊनको अफगनाको प्रसव करनेके समय “फिर” यानी “हाय हव” करती थी। इस वजहसे नवजात शिशु का नाम “यफना” रखा गया।