बलिवैश्व | Bali Vaishva

बलिवैश्व | Bali Vaishva

बलिवैश्व | Bali Vaishva

बलिवैश्व | Bali Vaishva के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : बलिवैश्व है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shri Ram Sharma Acharya | Shri Ram Sharma Acharya की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 905.4 KB है | पुस्तक में कुल 33 पृष्ठ हैं |नीचे बलिवैश्व का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | बलिवैश्व पुस्तक की श्रेणियां हैं : Knowledge

Name of the Book is : Bali Vaishva | This Book is written by Shri Ram Sharma Acharya | To Read and Download More Books written by Shri Ram Sharma Acharya in Hindi, Please Click : | The size of this book is 905.4 KB | This Book has 33 Pages | The Download link of the book "Bali Vaishva" is given above, you can downlaod Bali Vaishva from the above link for free | Bali Vaishva is posted under following categories Knowledge |

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पुस्तक का साइज : 905.4 KB
कुल पृष्ठ : 33

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अन्न को ब्रह्म का एक रूप कहा गया है। काया का समूचा ढाँचा प्रकारान्तर से भोजन की ही परिणति है।अन्न से प्राणी का जन्म, विकास परिपुष्टता और अन्नमय कोष बनता है। भोजन मुख में रखते ही उसका स्वादानुभव होता है और पेट में उसके सूक्ष्म गुण का अनुभव होता है।गीता में आहार के सूक्ष्म गुणों को लक्ष्य करके उसे तीन श्रेणियों में (सात्विक, राजसिक एवं तामसिक) में विभाजित किया गया है। अन्न के स्थूल भाग से शरीर के रस, रस से रक्त, रक्त से माँस, माँस से अस्थि और मज्जा, मेद, वीर्य आदि बनते हैं। इसलिए शरीर शास्त्री और मनोवैज्ञानिक इस सम्बन्ध में प्रायः एक मत हैं कि जैसा आहार होगा वैसा ही मन बनेगा।

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