नवयुग का मत्स्यावतार | Navyug Ka Mastyaavtaar

नवयुग का मत्स्यावतार | Navyug Ka Mastyaavtaar

नवयुग का मत्स्यावतार | Navyug Ka Mastyaavtaar

नवयुग का मत्स्यावतार | Navyug Ka Mastyaavtaar के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : नवयुग का मत्स्यावतार है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shri Ram Sharma Acharya | Shri Ram Sharma Acharya की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 01.4 MB है | पुस्तक में कुल 33 पृष्ठ हैं |नीचे नवयुग का मत्स्यावतार का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | नवयुग का मत्स्यावतार पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm

Name of the Book is : Navyug Ka Mastyaavtaar | This Book is written by Shri Ram Sharma Acharya | To Read and Download More Books written by Shri Ram Sharma Acharya in Hindi, Please Click : | The size of this book is 01.4 MB | This Book has 33 Pages | The Download link of the book "Navyug Ka Mastyaavtaar " is given above, you can downlaod Navyug Ka Mastyaavtaar from the above link for free | Navyug Ka Mastyaavtaar is posted under following categories dharm |

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पुस्तक का साइज : 01.4 MB
कुल पृष्ठ : 33

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ब्रह्मा जी प्रात:काल संध्या-वंदन के लिए बैठे। चुल्लू में आचमन के लिए पानी लिया।'उसमें एक छोटा सा कीड़ा विचरते देखा । ब्रह्माजी ने सहज उदारतावश उसे जल भरे कमंडल में छोड़ दिया और अपने क्रिया-कृत्य में लग गए। थोड़े ही समय में वह कीड़ा बढ़कर इतना बड़ा हो गया कि सारा कमंडल ही उससे भर गया। अब उसे अन्यत्र भेजना आवश्यक हो गया। उसे समीपवर्ती तालाब में छोड़ा गया। देखा गया कि वह तालाब भी उस छोटे से कीड़े के विस्तार से भर गया। इतनी तेज प्रगति और विस्तार को देखकर वे स्वयं आश्चर्यचकित हुए और एक दो बार इधर-उधर उक–पटक करने के बाद उसे समुद्र में पहुँचा आए ।

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