कथा कलश (भाग-एक) : अशोक कुमार शर्मा | Katha-Kalash (Bhag-1) : Ashok Kumar Sharma

कथा कलश (भाग-एक) : अशोक कुमार शर्मा | Katha-Kalash (Bhag-1) : Ashok Kumar Sharma

कथा कलश (भाग-एक) : अशोक कुमार शर्मा | Katha-Kalash (Bhag-1) : Ashok Kumar Sharma के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : कथा कलश (भाग-एक) है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Ashok Kumar Sharma | Ashok Kumar Sharma की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 5.7 MB है | पुस्तक में कुल 155 पृष्ठ हैं |नीचे कथा कलश (भाग-एक) का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | कथा कलश (भाग-एक) पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays

Name of the Book is : Katha-Kalash (Bhag-1) | This Book is written by Ashok Kumar Sharma | To Read and Download More Books written by Ashok Kumar Sharma in Hindi, Please Click : | The size of this book is 5.7 MB | This Book has 155 Pages | The Download link of the book "Katha-Kalash (Bhag-1)" is given above, you can downlaod Katha-Kalash (Bhag-1) from the above link for free | Katha-Kalash (Bhag-1) is posted under following categories Stories, Novels & Plays |

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पुस्तक का साइज : 5.7 MB
कुल पृष्ठ : 155

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कथा-कलश
का तीव्र मानसिक द्वंद्व और द्रुत घटनाचक्र का प्रभावशाली चित्रण हुआ है ; किंतु हिन्दी कहानी को व्यापकता प्रदान करने का श्रेय प्रेमचन्द और जयशंकर प्रसाद को है।
प्रेमचन्द ने लगभग तीन सौ कहानियाँ लिखीं । पंच-परमेश्वर से लेकर कफन तक प्रेमचन्द ने जो कहानियाँ लिखी हैं उनमें उन्होंने भारतीय जन-जीवन के सुख-दुख, आशा-निराशा और उत्थान-पतन के यथार्थ और सशक्त चित्र खींचे हैं । उनकी लेखनी से जीवन को कोई पक्ष छूटा नहीं । प्रेमचन्द की कहानियों में विषयवस्तु और शैली-शिल्प दोनों की विविधता मिलती है। बोलचाल की भाषा में लिखी प्रेमचन्द की कहानियाँ ठेठ भारतीय
प्रेमक्द के समकालीन किंतु उनसे भिन्न प्रवृत्ति वाले कहानीकार हैं - जयशंकर प्रसाद उनकी कहानियों में इतिहास और कल्पना तथा आदर्श और यथार्थ का सामंजस्य मिलता है । जयशंकर प्रसाद कवि और नाटककार भी थे इसलिए उनकी कहानियों में काव्यात्मक-नाटकीय शैली का प्रयोग दिखाई देता है। पुरस्कार, ममता, आकाशदीप, मधुआ आदि उनकी प्रसिद्ध कहानियाँ हैं ।
| इसी युग केअन्य कहानीकारों में विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक और सुदर्शन ने.प्रेमचन्द की ही परंपरा का निर्वाह करते हुए सामाजिक-पारिवारिक कहानियों की रचना की । चंडीप्रसाद 'हृदयेश और रायकृष्णदास ने प्रसाद से प्रभावित होकर कहानियाँ लिखीं । अन्य कहानीकारों में पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र', विनोदशंकर व्यास, चतुरसेन शास्त्री, भगवतीप्रसाद वाजपेयी, भगवतीचरण वर्मा तथा अन्नपूर्णानंद प्रमुख हैं। इनमें से कुछ ने ऐतिहासिक विषयों को आधार बनाकर सुंदर कहानियों की रचना की तो कुछ ने सामाजिक यथार्थ को आधार बनाया । इसी प्रसंग में निराला की कहानियाँ भी उल्लेखनीय हैं, जिनमें यथार्थ जीवन के कुछ बड़े ही तीखे व्यंग्य-चित्र मिलते हैं।
प्रेमचन्द के बाद हिन्दी कहानी के विकास में योगदान देने वाले दो कहानीकार विशेष उल्लेखनीय हैं - जैनेन्द्र और यशपाल । जैनेन्द्र ने व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक समस्याओं को अपनी कहानी में महत्व दिया । उनकी कहानियों में पात्रों के अन्तर्द्वन्द्व और दार्शनिक चिंतन को अभिव्यक्ति मिली। इलाचन्द्र जोशी और अज्ञेय ने भी मर्नोवैज्ञानिक कहानियाँ लिखीं ।

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