पालि साहित्य का इतिहास | Pali Sahitya Ka Itihas के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : पालि साहित्य का इतिहास है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Komal Chandra Jain | Komal Chandra Jain की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Komal Chandra Jain | इस पुस्तक का कुल साइज 05.01 MB है | पुस्तक में कुल 154 पृष्ठ हैं |नीचे पालि साहित्य का इतिहास का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | पालि साहित्य का इतिहास पुस्तक की श्रेणियां हैं : history
Name of the Book is : Pali Sahitya Ka Itihas | This Book is written by Komal Chandra Jain | To Read and Download More Books written by Komal Chandra Jain in Hindi, Please Click : Komal Chandra Jain | The size of this book is 05.01 MB | This Book has 154 Pages | The Download link of the book "Pali Sahitya Ka Itihas" is given above, you can downlaod Pali Sahitya Ka Itihas from the above link for free | Pali Sahitya Ka Itihas is posted under following categories history |
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भारतीय वाड्मय में पालि-साहित्य का विशेष महत्व है, पयोंकि अन्धकार से ढके भारतीय इतिहास को सर्वप्रथम पालि-साहित्य में ही आलोकित किया है। यदि पालि-सा(त्य न होता तो ईसा पूर्व पाँचवीं बाताब्दी से ईसा फी पाचवीं प्रताब्दी तक का भारतीय संस्कृति का इतिहास आचार-विहीन हो जाता पालि-साहित्य की सहायता से ही भारत का निश्चयात्मक इतिहास प्रारम्भ होता हैं। इसके अतिरिक्त इसी साहित्य से भगवान् बुद्ध, उनके द्वारा प्रवतित धर्म एवं संस्थापित संघ की प्रामाणिक जानकारी प्राप्त होती है। पालि भाषा मययुगीन भारतीय आर्य-भाषाओं में से एक है।