कलकत्ता से पीकिंग | Kalkatta Se Piking के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : कलकत्ता से पीकिंग है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Bhagvatsharan Upadhyay | Bhagvatsharan Upadhyay की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Bhagvatsharan Upadhyay | इस पुस्तक का कुल साइज 6.2 MB है | पुस्तक में कुल 178 पृष्ठ हैं |नीचे कलकत्ता से पीकिंग का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | कलकत्ता से पीकिंग पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays
Name of the Book is : Kalkatta Se Piking | This Book is written by Bhagvatsharan Upadhyay | To Read and Download More Books written by Bhagvatsharan Upadhyay in Hindi, Please Click : Bhagvatsharan Upadhyay | The size of this book is 6.2 MB | This Book has 178 Pages | The Download link of the book "Kalkatta Se Piking" is given above, you can downlaod Kalkatta Se Piking from the above link for free | Kalkatta Se Piking is posted under following categories Stories, Novels & Plays |
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दस्तूर के मुताविक दौड़-धूप पर आखिर थाइलैज का वीजा' भिल ही गया और अब तुम्हें तीन हजार मील दूर हांगकांग से लिख रहा हूँ। पिछली रात मैने कलकत्ते में बिताई रात अन्धेरी थी, वड़ी मनहूससी पैन-अमेरिकन एयरवेज के दफ्तर से बराबर फोन आते रहे। जिससे नींद में खलल पड़ती रही । ग्यारह बजे ही जहाज दिल्ली से पहुंचने वाला था । वह पहले एक घंटा लेट हुआ, फिर दो घंटा, फिर तीन मित्रवर सेकसरियाजी के यहां से उनकी गाड़ी में पहले पैन-अमेरिकन एयरवेज के दफ्तर गया फिर वहां से उनकी बस में दमदम् बस सूनी सड़कों पर तेज भागी नगर चुपचाप सो रहा था ।