कला और साहित्य का परस्पर सम्बन्ध और प्रभाव | Kala Aur Sahitya Ka Parasper Sambandh Aur Prabhav

कला और साहित्य का परस्पर सम्बन्ध और प्रभाव | Kala Aur Sahitya Ka Parasper Sambandh Aur Prabhav

कला और साहित्य का परस्पर सम्बन्ध और प्रभाव | Kala Aur Sahitya Ka Parasper Sambandh Aur Prabhav के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : कला और साहित्य का परस्पर सम्बन्ध और प्रभाव है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Vidyasagar Singh | Vidyasagar Singh की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 30.4 MB है | पुस्तक में कुल 332 पृष्ठ हैं |नीचे कला और साहित्य का परस्पर सम्बन्ध और प्रभाव का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | कला और साहित्य का परस्पर सम्बन्ध और प्रभाव पुस्तक की श्रेणियां हैं : literature

Name of the Book is : Kala Aur Sahitya Ka Parasper Sambandh Aur Prabhav | This Book is written by Vidyasagar Singh | To Read and Download More Books written by Vidyasagar Singh in Hindi, Please Click : | The size of this book is 30.4 MB | This Book has 332 Pages | The Download link of the book "Kala Aur Sahitya Ka Parasper Sambandh Aur Prabhav" is given above, you can downlaod Kala Aur Sahitya Ka Parasper Sambandh Aur Prabhav from the above link for free | Kala Aur Sahitya Ka Parasper Sambandh Aur Prabhav is posted under following categories literature |

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पुस्तक का साइज : 30.4 MB
कुल पृष्ठ : 332

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तीसरा अध्याय साहित्य से आच्छादित चित्रों का गवेषणात्मक विवेचन है। भवित आन्दोलन की लोकप्रियता इतनी बढ़ी की कला-क्षेत्र में भी उसकी स्पष्ट छाप लक्षित होने लगी। रीतिकाल में चित्रकला काव्य के समान ही प्रचलित एवं समृद्ध हुई। राजस्थानी शैली के चित्रो का मुख्य विषय 'रामायण', 'सूर-सागर इत्यादि था। इनके काव्यों के भावो का आश्रय लेकर शब्दों को रेखाओं और रंगों मे बद्ध किया गया है। मुगल शैली, पहाड़ी शैली की भी लगभग यही विशेषता रही। इन चित्रों में भावनात्मकता अधिक है तथा सामान्य रूप से इनका झुकाव रहस्यात्मकता की तरफ है।

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