उपजीव्य ग्रन्थों के सन्दर्भ में केशव की मौलिकता | Upjivya Granthon Ke Sandarbh Mein Keshav Ki Maulikta

उपजीव्य ग्रन्थों के सन्दर्भ में केशव की मौलिकता | Upjivya Granthon Ke Sandarbh Mein Keshav Ki Maulikta

उपजीव्य ग्रन्थों के सन्दर्भ में केशव की मौलिकता | Upjivya Granthon Ke Sandarbh Mein Keshav Ki Maulikta के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : उपजीव्य ग्रन्थों के सन्दर्भ में केशव की मौलिकता है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Gyan Manjari Mishra | Gyan Manjari Mishra की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 24.4 MB है | पुस्तक में कुल 672 पृष्ठ हैं |नीचे उपजीव्य ग्रन्थों के सन्दर्भ में केशव की मौलिकता का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | उपजीव्य ग्रन्थों के सन्दर्भ में केशव की मौलिकता पुस्तक की श्रेणियां हैं : literature

Name of the Book is : Upjivya Granthon Ke Sandarbh Mein Keshav Ki Maulikta | This Book is written by Gyan Manjari Mishra | To Read and Download More Books written by Gyan Manjari Mishra in Hindi, Please Click : | The size of this book is 24.4 MB | This Book has 672 Pages | The Download link of the book "Upjivya Granthon Ke Sandarbh Mein Keshav Ki Maulikta" is given above, you can downlaod Upjivya Granthon Ke Sandarbh Mein Keshav Ki Maulikta from the above link for free | Upjivya Granthon Ke Sandarbh Mein Keshav Ki Maulikta is posted under following categories literature |

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पुस्तक का साइज : 24.4 MB
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केशव में रीति काव्य की परम्परा में विद्यापति का नाम विशेष उल्लेखनीय है । भाषा की दृष्टि से भले ही वे ब्रजभाषा रीति काव्य के मेल में न हों किन्तु रीति तत्व की दृष्टि से उनका महत्व अण्ण है। उनकी मधली में श्रृंगारिक तत्व इतनी प्रनुर मात्रा में मिलते हैं कि उन्हें भक्ति की कोटि में बैठने वाले आलोचक भी कभी- कभी चौंक उठते हैं। इनकी रचनावों को देखने से स्पष्ट प्रतीत होता है कि इनमें न जाने कितने कल्पना प्रसूत चित्र की अव तारणा के विं ने की है।

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