इन्द्र विधवाचस्पति | Indra Vidhavachspati के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : इन्द्र विधवाचस्पति है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Vijayendra Snatak | Vijayendra Snatak की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Vijayendra Snatak | इस पुस्तक का कुल साइज 2.6 MB है | पुस्तक में कुल 82 पृष्ठ हैं |नीचे इन्द्र विधवाचस्पति का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | इन्द्र विधवाचस्पति पुस्तक की श्रेणियां हैं : literature
Name of the Book is : Indra Vidhavachspati | This Book is written by Vijayendra Snatak | To Read and Download More Books written by Vijayendra Snatak in Hindi, Please Click : Vijayendra Snatak | The size of this book is 2.6 MB | This Book has 82 Pages | The Download link of the book "Indra Vidhavachspati" is given above, you can downlaod Indra Vidhavachspati from the above link for free | Indra Vidhavachspati is posted under following categories literature |
यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
श्री इन्द्र विद्यावाचस्पति का जन्म भारतवर्ष के नवजागरण या पुनर्जागरण युग में जालंधर । शहर में ९ नवम्बर, १८८९ को एक प्रतिष्ठित तथा समृद्ध परिवार में हुआ था, इनके पिता मुंशीराम जी एक सुप्रसिद्ध वकील थे । उनका परिवार वैभवशाली था और वकालत के द्वारा उन्होंने यश और धन अर्जित किया था। आर्य समाज की स्थापना हो गई थी। और आर्य समाज पंजाब में नई शक्ति के रूप में उदित होकर सामाजिक जागरण का केन्द्र बन रहा था। बालक इन्द्र ने घर और बाहर के बदलते हुए समाज को देखा था।