कोंकणी साहित्य का आधुनिक काल | Konkani Sahitya Ka Adhunik Kaal

कोंकणी साहित्य का आधुनिक काल | Konkani Sahitya Ka Adhunik Kaal

कोंकणी साहित्य का आधुनिक काल | Konkani Sahitya Ka Adhunik Kaal के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : कोंकणी साहित्य का आधुनिक काल है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Dr. Chandralekha Dsouza | Dr. Chandralekha Dsouza की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 971.0 MB है | पुस्तक में कुल 12 पृष्ठ हैं |नीचे कोंकणी साहित्य का आधुनिक काल का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | कोंकणी साहित्य का आधुनिक काल पुस्तक की श्रेणियां हैं : literature, Stories, Novels & Plays

Name of the Book is : Konkani Sahitya Ka Adhunik Kaal | This Book is written by Dr. Chandralekha Dsouza | To Read and Download More Books written by Dr. Chandralekha Dsouza in Hindi, Please Click : | The size of this book is 971.0 MB | This Book has 12 Pages | The Download link of the book "Konkani Sahitya Ka Adhunik Kaal" is given above, you can downlaod Konkani Sahitya Ka Adhunik Kaal from the above link for free | Konkani Sahitya Ka Adhunik Kaal is posted under following categories literature, Stories, Novels & Plays |


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पुस्तक का साइज : 971.0 MB
कुल पृष्ठ : 12

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भारतीय उपन्यास विद्या पर जब सोचते हैं तब हमें पता चलता है कि भारतीय साहित्य में, समाज में, जीवन में, ब्रिटिशों के आगमन के बाद, आधुनिक काल का, नए विचारों का उदय हुआ। विद्वानों का मानना है कि इसी समय में, हमारे देश में नई नई साहित्यिक विधाओं का प्रारंभ हुआ। इसके साथ साथ हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि हमारे देश में बहुत सारी भाषाएँ बोली जाती हैं, उन सबका तुलनात्मक अध्ययन करने पर पता चलता है कि हमारी सब भाषाओं का विकास एक सा नहीं हुआ। अपने अपने प्रदेशों में अपने अपने इतिहास में तथा सामाजिक परिस्थितियों में, हमारी भाषाएँ अलग अलग विकासात्मक रूपों में पनप रही हैं। परिणाम स्वरूप उसकी गतिविधियाँ भी अलग अलग समय पर होती द्रष्टव्य होती हैं। विद्वानों का मानना है कि भारत देश में बंगला और मराठी भाषा में उपन्यास | का उदय हुआ। इसका कारण यह माना गया कि अंग्रेजों का आधिपत्य सबसे पहले बंगाल में ही स्थापित हुआ। हिंदी प्रदेशों में वह सब से बाद में स्थापित हुआ। इसीलिए हिंदी में उपन्यास का जन्म भी बहुत बाद में हुआ।

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