मातृभूमि के प्रति हमारा कर्त्तव्य | Matr Bhumi Ke Prati Hamara Kartavya

मातृभूमि के प्रति हमारा कर्त्तव्य | Matr Bhumi Ke Prati Hamara Kartavya

मातृभूमि के प्रति हमारा कर्त्तव्य | Matr Bhumi Ke Prati Hamara Kartavya के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : मातृभूमि के प्रति हमारा कर्त्तव्य है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Swami Veereshwaranand | Swami Veereshwaranand की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 5.2 MB है | पुस्तक में कुल 86 पृष्ठ हैं |नीचे मातृभूमि के प्रति हमारा कर्त्तव्य का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | मातृभूमि के प्रति हमारा कर्त्तव्य पुस्तक की श्रेणियां हैं : Social

Name of the Book is : Matr Bhumi Ke Prati Hamara Kartavya | This Book is written by Swami Veereshwaranand | To Read and Download More Books written by Swami Veereshwaranand in Hindi, Please Click : | The size of this book is 5.2 MB | This Book has 86 Pages | The Download link of the book "Matr Bhumi Ke Prati Hamara Kartavya" is given above, you can downlaod Matr Bhumi Ke Prati Hamara Kartavya from the above link for free | Matr Bhumi Ke Prati Hamara Kartavya is posted under following categories Social |

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पुस्तक का साइज : 5.2 MB
कुल पृष्ठ : 86

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धर्म हमारे जीवन का आधार है। स्वामीजी ने बताया कि यदि हम अपना धर्म-जीवन स्वस्थ रखें, तो सब कुछ ठीक चलेगा। जैसा कि हम देखते ही हैं स्वामीजी के प्रयासों से पहले हमारे धार्मिक जीवन में नवजागरण हुआ और फिर उसके बाद राष्ट्र जीवन के अन्य सब क्षेत्रों में शिक्षा, साहित्य, कला, अर्थनीति, राजनीति आदि में नवजागरण के लक्षण दीख पड़ने लगे। इसीलिए स्वामीजी ने सबसे पहले, प्राथमिक आवश्यकता के रूप में धर्म की सुरक्षा पर बल दिया । हमें अन्य बहुत सी बातों की आवश्यकता हो सकती है, पर हमें उन्हीं बातों के लिए चेष्टा करनी चाहिए जो हमारे इन धार्मिक आदर्शों को सुरक्षित बनाये रखेंगी । हमें इस बात को नहीं भूलना है।

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