कर्म-भूमि | Karm Bhumi

कर्म-भूमि | Karm Bhumi

कर्म-भूमि | Karm Bhumi के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : कर्म-भूमि है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Munshi Premchand | Munshi Premchand की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 12.1 MB है | पुस्तक में कुल 358 पृष्ठ हैं |नीचे कर्म-भूमि का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | कर्म-भूमि पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays

Name of the Book is : Karm Bhumi | This Book is written by Munshi Premchand | To Read and Download More Books written by Munshi Premchand in Hindi, Please Click : | The size of this book is 12.1 MB | This Book has 358 Pages | The Download link of the book "Karm Bhumi" is given above, you can downlaod Karm Bhumi from the above link for free | Karm Bhumi is posted under following categories Stories, Novels & Plays |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 12.1 MB
कुल पृष्ठ : 358

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कई मिनट तक दोनों गुम वैठे रहे जब अमर जलपान करके उठा सुखदा ने सप्रेम शाग्रह से कहा कल से सन्ध्या समय दूकान पर बैठा करो कठिनाइयों पर विजय पाना पुरपार्थी मनुष्यो का काम है अवश्य मगरे कति नाइये की सृष्टि करना अनायास पाँव में काँटे चुभाना कोई बुद्धिमानी नहीं है। अमरकान्त इस आदेश का प्राशय समझ गया पर कुछ बोला नही विलासिनी संकटों से कितना डरती है यह चाहती हैं में भी गरीबो का से चूसे उनका गला काटें यह मुझने न होगा ।

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