श्री सतगुरु ग्रन्थ साहिब | Shri Satguru Granth Sahib के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : श्री सतगुरु ग्रन्थ साहिब है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Acharya Garib Das Sahib Ji Maharaj | Acharya Garib Das Sahib Ji Maharaj की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Acharya Garib Das Sahib Ji Maharaj | इस पुस्तक का कुल साइज 4.9 MB है | पुस्तक में कुल 473 पृष्ठ हैं |नीचे श्री सतगुरु ग्रन्थ साहिब का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | श्री सतगुरु ग्रन्थ साहिब पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, Granth
Name of the Book is : Shri Satguru Granth Sahib | This Book is written by Acharya Garib Das Sahib Ji Maharaj | To Read and Download More Books written by Acharya Garib Das Sahib Ji Maharaj in Hindi, Please Click : Acharya Garib Das Sahib Ji Maharaj | The size of this book is 4.9 MB | This Book has 473 Pages | The Download link of the book " Shri Satguru Granth Sahib" is given above, you can downlaod Shri Satguru Granth Sahib from the above link for free | Shri Satguru Granth Sahib is posted under following categories dharm, Granth |
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श्री सतगुरु ग्रन्थ साहिब' प्रकाशित करवा कर आपको समर्पित किया गया है। इकसी शोध पूर्ण रूप से दो श्री ग्रन्थों को आधार मान कर की गई है। पहला आधार तो श्री सतगुरु भूरी वाले ब्रह्मसागर जी महाराज की उपस्थिति में और उनकी आज्ञा से, उन्ही की राय के अनुसार वि.स. १६८३ में कैलपुर स्वामी सन्तराम जी महाराज द्वारा लिखा गया हस्तलिखित ग्रन्थ है। दूसरा आधार सतगुरु भूरी वालों के आज्ञाकारी पोते शिष्य स्वामी स्वरूपानन्द जी नियायक (श्री जलूर धाम) द्वारा प्रकाशित श्री ग्रन्थ साहिब रखा गया है। इसके अतिरिक्त तीन पुरातन हस्त लिखित ग्रन्थों की सहायता ली गई है। जिनका विवरण इस प्रकार है १.पहला हस्त लिखित ग्रन्थ श्री गरीब दास जी के शिष्य पूर्ण दास जी हुए, पूर्ण दास जी के शिष्य श्री केवल दास जी ने सतगुरु गरीबदास जी के ब्रह्मलोक गमन के दस वर्ष पश्चात् वि.स.१८४५ में लिखा है। २. दूसरा हस्त लिखित ग्रन्थ वि.स. १८५६ में श्री स्वामी देवादास जी के शिष्य स्वामी विशन दास जी द्वारा लिखा गया है।
Misleading name to confuse people.
There is only one Sri Guru Granth Sahib. The Living Guru of the Sikhs.