कलंक | Kalank के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : कलंक है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shri Rajeshwar Prasad | Shri Rajeshwar Prasad की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Shri Rajeshwar Prasad | इस पुस्तक का कुल साइज 9.2 MB है | पुस्तक में कुल 258 पृष्ठ हैं |नीचे कलंक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | कलंक पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays
Name of the Book is : Kalank | This Book is written by Shri Rajeshwar Prasad | To Read and Download More Books written by Shri Rajeshwar Prasad in Hindi, Please Click : Shri Rajeshwar Prasad | The size of this book is 9.2 MB | This Book has 258 Pages | The Download link of the book "Kalank" is given above, you can downlaod Kalank from the above link for free | Kalank is posted under following categories Stories, Novels & Plays |
यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
तट पर पहुंचकर सुन्दरी ने देखा कलसा उसी तरह जल-क्रीड़ा में व्यस्त है। हाँ और कुछ-कुछ हिलने भी लगा है। कलसे को शीघ्रता से उठाकर उसने जल से भरा और कमर पर रखकर फिर उसी मार्ग पर वेग से चल पड़ी। वंशो की विकम्पित अतुर धनि फिर क्रमशः मन्द पड़ने लगी। फिर एकाएक वह एक-दम रुक गई। तब किसी अज्ञात शक्ति ने सुन्दरी के पैरो की भूमि से जकड़ दिया। उसकी अखे ज़मीन पर तो अवश्य गडी थीं किन्तु वह अपने आस पास का सारा दृश्य देख रही थी।