कविरत्न सत्यनारायण जी की जीवनी हिंदी पुस्तक मुफ्त पीडीऍफ़ डाउनलोड करें | Kaviratna Satyanarayan Ji Ki jeevni Hindi Book Free Download In PDF

कविरत्न सत्यनारायण जी की जीवनी : बनारसीदास चतुर्वेदी | Kaviratna Satyanarayan Ji Ki jeevni : Banarsidas Chaturvedi

कविरत्न सत्यनारायण जी की जीवनी : बनारसीदास चतुर्वेदी | Kaviratna Satyanarayan Ji Ki jeevni : Banarsidas Chaturvedi

कविरत्न सत्यनारायण जी की जीवनी : बनारसीदास चतुर्वेदी | Kaviratna Satyanarayan Ji Ki jeevni : Banarsidas Chaturvedi के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : कविरत्न सत्यनारायण जी की जीवनी है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Banarsidas Chaturvedi | Banarsidas Chaturvedi की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 11.8 MB है | पुस्तक में कुल 253 पृष्ठ हैं |नीचे कविरत्न सत्यनारायण जी की जीवनी का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | कविरत्न सत्यनारायण जी की जीवनी पुस्तक की श्रेणियां हैं : Biography

Name of the Book is : Kaviratna Satyanarayan Ji Ki jeevni | This Book is written by Banarsidas Chaturvedi | To Read and Download More Books written by Banarsidas Chaturvedi in Hindi, Please Click : | The size of this book is 11.8 MB | This Book has 253 Pages | The Download link of the book "Kaviratna Satyanarayan Ji Ki jeevni" is given above, you can downlaod Kaviratna Satyanarayan Ji Ki jeevni from the above link for free | Kaviratna Satyanarayan Ji Ki jeevni is posted under following categories Biography |

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पुस्तक का साइज : 11.8 MB
कुल पृष्ठ : 253

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आगरा निवासी गोस्वामी पं० ब्रजनाथ शर्मा और पं० हरिप्रपन्नाचायँजी हुरद्धार गये हुए थे। वहाँ से लौटते समय उन्होंने सोचा कि थलो सहारनपुर की ‘मेरी शारदासदन' नामक संस्था को देखने चलें । समाचारपत्रों में इस संस्था का नाम उपर्युक्त सज्जनों ने कई बार पढ़ा था। संस्था के अधिष्ठाता पंडित मुकुन्दरामजी ने इन महाशयों को अपनी संस्था को निरीक्षण कराया। अधिष्ठाताजी ने एक लड़की से हारमोनियम पर एक भजन भी गवाया । गोस्वामीजी के जेब में सत्यनारायणजी की कोई कविता पकी हुई थी, उन्होंने वह उस लड़की को गाने के लिये दी । लड़की
ने उस कविता को हारमोनियम पर गाकर सुनाया। तत्पश्चात् निरीक्षक| गण सन्तुष्ट होकर संस्था से बाहर चले आये। बाहर आने पर अब ये लोग

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